डॉक्टर हों या आशा वर्कर, हमला किया तो 7 साल जेल
कैबिनेट का फैसला : 123 वर्ष पुराने महामारी कानून में संशोधन
डॉक्टर हों या आशा वर्कर, हमला किया तो 7 साल जेल
नई दिल्ली. डॉक्टरों, स्वास्थ्य कर्मियों और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं पर लगातार हो रहे हमलों पर केंद्र सरकार ने कड़ा रुख अख्तियार कर लिया है। बुधवार को हुई बैठक में केंद्रीय कैबिनेट ने 123 वर्ष पुराने महामारी कानून में अध्यादेश के जरिए बदलाव पर मुहर लगा दी।
राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद तत्काल प्रभाव से लागू इस अध्यादेश में ऐसे हमलों को न केवल संज्ञेय व गैरजमानती बना दिया, बल्कि सख्त सजा का प्रावधान भी किया है। अब दोषियों को सात साल तक की जेल और पांच लाख रुपए तक का जुर्माना हो सकेगा। यह कानूनी व्यवस्था पूरे देश में लागू होगी। इसके जरिए डॉक्टर से लेकर आशा कार्यकर्ता तक को सुरक्षा मिलेगी। केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बताया कि डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों पर हमले अब बर्दाश्त नहीं किए जाएंगे। उधर, केंद्र के इस फैसले के बाद डॉक्टरों के संगठन इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आइएमए) ने गुरुवार के अपने विरोध प्रदर्शन के ऐलान को वापस ले लिया है।
अंतिम संस्कार में बाधा न पड़े
इस फैसले के बाद केंद्र ने राज्यों को पत्र लिख कर कहा है कि कोई स्वास्थ्य कर्मी कोरोना से लड़ते हुए मारा जाता है तो उसके अंतिम संस्कार में बाधा पहुचांने वाले के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
डॉक्टरों ने वापस लिया ‘ब्लैक डेÓ
इससे पहले आइएमए ने डॉक्टरों के साथ होने वाली मारपीट और हिंसा के खिलाफ केंद्रीय कानून बनाने की मांग को ले कर गुरुवार को ‘ब्लैक डेÓ मनाने की घोषणा की थी। साथ ही बुधवार को ‘वाइट अलर्टÓ के तहत डॉक्टर सफेद कोट पहन कर रात नौ बजे कैंडल मार्च निकालने वाले थे, लेकिन केंद्र सरकार की घोषणा के बाद उन्होंने अपने सभी विरोध प्रदर्शन वापस ले लिए हैं। आइएमए ने गुरुवार के बाद हड़ताल जैसे और सख्त कदम उठाने की धमकी दी थी।
कोरोना ब्रीफिंग अब सिर्फ 4 दिन
कोरोना के मामले में नियमित अपडेट देने के लिए शुरू की गई केंद्र सरकार की नियमित प्रेस ब्रीफिंग को अब सप्ताह में सिर्फ चार दिन किया जाएगा। अब स्वास्थ्य मंत्रालय के प्रवक्ता सोमवार, मंगलवार, गुरुवार और शुक्रवार को मीडिया से बात करेंगे। जबकि बुधवार, शनिवार और रविवार को सिर्फ बयान जारी किए जाएंगे।
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