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भीलवाड़ा

तीन शिक्षकों के भरोसे आठ कक्षाएं

बच्चों को गुणवत्तापरक शिक्षा दिलाने के नाम पर सरकार ने विभिन्न योजनाएं
लागू कर रखी है, लेकिन धरातल पर ये योजनाएं मात्र दिखावा साबित हो रही है।
शिक्षा विभाग स्कूलों को क्रमोन्नत करता है, लेकिन सुविधाएं नहीं बढ़ाकर
बच्चों के भविष्य के साथ छलावा किया जा रहा है । यहां गणेशपुरा में सरकार
ने वर्ष 1995 राजकीय प्राथमिक स्तर के स्कूल की नींव रखी थी। इसके बाद इसे
वर्ष 2013 में उच्च प्राथमिक स्तर पर क्रमोन्नत कर दिया गया। क्रमोन्नति के
ढाई साल बीत जाने पर भी बुनियादी सुविधाएं नहीं बढ़ाई। इतना ही नहीं आठ
कक्षाओं को संभालने के लिए मात्र तीन शिक्षक नियुक्त है।

भीलवाड़ाFeb 05, 2016 / 11:42 pm

Abhishek sharma

बच्चों को गुणवत्तापरक शिक्षा दिलाने के नाम पर सरकार ने विभिन्न योजनाएं लागू कर रखी है, लेकिन धरातल पर ये योजनाएं मात्र दिखावा साबित हो रही है। शिक्षा विभाग स्कूलों को क्रमोन्नत करता है, लेकिन सुविधाएं नहीं बढ़ाकर बच्चों के भविष्य के साथ छलावा किया जा रहा है । यहां गणेशपुरा में सरकार ने वर्ष 1995 राजकीय प्राथमिक स्तर के स्कूल की नींव रखी थी। इसके बाद इसे वर्ष 2013 में उच्च प्राथमिक स्तर पर क्रमोन्नत कर दिया गया। क्रमोन्नति के ढाई साल बीत जाने पर भी बुनियादी सुविधाएं नहीं बढ़ाई। इतना ही नहीं आठ कक्षाओं को संभालने के लिए मात्र तीन शिक्षक नियुक्त है।
चौथी व आठवीं में 3-3 विद्यार्थी
वर्तमान सत्र में 90 विद्यार्थियों का नामांकन है। कक्षा चार और आठ में 3-3 विद्यार्थी नामांकित है। वहीं पहली कक्षा में 27, दूसरी में 17, तीसरी में 6, चौथी में 3, पांचवीं में 18, छठवीं में 11, सातवीं में 5 विद्यार्थी अध्ययनरत है। जिनमें 42 बालक और 48 बालिकाएं शामिल है।
कक्षा-कक्षों का अभाव
स्कूल में भवन में 6 कमरे बने हुए हैं। इनमें चार कमरों को कक्षा-कक्ष और एक को कार्यालय के उपयोग में लिया जा रहा है। एक छोटे कमरे को रसोई घर के रूप में काम लिया जा रहा है। पर्याप्त कक्षा-कक्षाओं के अभाव में पहली, दूसरी और तीसरी कक्षा के विद्यार्थियों को बरामदे में और शेष कक्षाओं को कमरों में बिठाया जा रहा है।
खेल सामग्री का टोटा  
हालांकि स्कूल में खेल मैदान है, लेकिन पर्याप्त खेल सामग्री उपलब्ध नहीं है। इससे विद्यार्थी खेल प्रतियोगिताओं की अच्छी तरह से तैयारी नहीं कर पाते हैं। स्कूल में बिजली कनेक्शन भी नहीं है। गर्मियों में विद्यार्थी पसीने से तरबतर हो जाते हैं। फर्नीचर भी नहीं है।
शौचालय और चारदीवारी अधूरी
यहां नामांकित छात्र-छात्राओं को शौचालय की कमी भी खल रही है। हालांकि शौचालय है, लेकिन इनका निर्माण अधूरा पड़ा है। बजट के अभाव में स्कूल की चार दीवारी भी अधूरी पड़ी है। ऐसे में आवारा पशुओं की परिसर में आजावाही रहती है।
पसीना ला देता है हैण्डपम्प
स्कूल में पेयजल की समुचित व्यवस्था नहीं है। यहां हैण्डपम्प लगा हुआ, लेकिन जल स्तर गहराने से वह भी नाकारा साबित हो रहा है। काफी देर तक प्रयास करने पर एक मटकी पानी भर पाती है। ऐसे में विद्यार्थी पानी के लिए आसपास की ढाणियों में भटकते हैं। पोषाहार कुक को भी ढाणियों से ही पानी लाना पड़ता है।
पर्याप्त भवन के अभाव में तीन-चार कक्षाओं के विद्यार्थियों को बरामदे में बिठाया जाता है। शौचालय और स्कूल की चार दीवारी अधूरी है। शिक्षक भी पर्याप्त नहीं है। समस्याओं के बारे में विभागीय अधिकारियों को अवगत करवा दिया है।
राजेन्द्र प्रसाद शर्मा, प्रधानाध्यापक, राउप्रावि गणेशपुरा

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