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जयपुर

जयपुर के केशवपुरा से सीखे पूरा देश, जानवरों को मरते देख काफी पहले ही छोड़ दिया प्लास्टिक का उपयोग

केशोपुरा आदर्श गांव के लोगों ने 2 अक्टूबर से पहले ही प्लास्टिक मुक्ति के लिए किया बड़ा काम, जयपुर के नजदीक एक गांव, उससे सीख सकता है देश का हर राज्य, तीन महीने से सामूहिक भोज में काम ले रहे हरे पत्तल दोने, हर घर के बाहर होगा तेल के पीपे का कचरा पात्र

जयपुरOct 01, 2019 / 08:19 pm

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जयपुर के केशवपुरा से सीखे पूरा देश, जानवरों को मरते देख काफी पहले ही छोड़ दिया प्लास्टिक का उपयोग

विकास जैन / जयपुर। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ( PM Narendra Modi ) ने दो अक्टूबर गांधी जयंती ( Mahatma Gandhi Birth Anniversary ) से देशभर में सिंगल यूज प्लास्टिक मुक्ति का अभियान शुरू करने का आह्वान किया है। जयपुर के नजदीक अल्प आबादी वाला एक ऐसा गांव भी है, जिसकी आबादी भले ही अल्प है। लेकिन यह गांव जयपुर शहर के हर मोहल् ले और कॉलोनी को नई दिशा दे सकता है। यह गांव है केशोगुपरा आदर्श ग्राम। गांव की ग्राम विकास समिति ने इसी साल जुलाई माह में एक बड़ा निर्णय लेते हुए गांव में होने वाले किसी भी तरह के सामूहिक भोज में प्लास्टि के पत्तल, दोने, गिलास और चम्मच को प्रतिबंधित किया। इसके बाद से ही यहां अब तक 11 सामूहिक भोज में हरे पत्तों के बने पत्तल और दोने ही काम में लिए जा रहे हैं।

गांव के लोगों ने इस पहल को आगे बढ़ाते हुए गांव में चारों तरफ फैले प्लास्टिक के कचरे को एक एक कर बीनने का काम किया और उसे गांव से दूर ले जाकर गढढ़ा खोदकर जला दिया। इतना ही नहीं हर घर से भी कचरा एकत्रित कर उसे एक साथ जला दिया गया। अब समिति और गांव के निवासियों ने निर्णय लिया है कि गांव के हर घर के बाहर कचरा पात्र रखा जाएगा, लेकिन वह भी प्लास्टिक का नहीं होगा, बल्कि लोहे से बनने वाले तेल के खाली पीपों का इस्तेमाल कचरा पात्र के रूप में किया जाएगा। गांव के निवासियों ने बताया कि प्लास्टिक मुक्ति के इस अभियान से बड़ी राहत गांव के पशुओं को भी मिली है। पहले बड़ी संख्या में प्लास्टिक गाय और भैंस सहित अन्य पशु भी खा जाते थे। हाल ही में इस गांव के दो व्यापारियों ने भी अपनी दुकान पर प्लास्टिक को पूरी तरह बंद कर कागज से बनने वाली थैलियों का इस्तेमाल शुरू किया है। इस गांव की बसावट 1981 में जयपुर में आई बाढ़ के बाद शुरू हुई थी।
जयपुर के लिए इसलिए बड़ी सीख

केशोपुरा में इस समय 70 मकान हैं, जिनमें करीब 100 परिवार रहते हैं। करीब 600 की आबादी वाला यह गांव है। राजधानी जयपुर में भी अलग अलग मोहल् ले, कॉलोनी या गली के लोग अपने अपने क्षेत्र के लिए इस तरह के निर्णय लेकर इस अभियान में बड़े भागीदार बन सकते हैं।
समिति और गांव वालों के बेहतर प्रयासों से यहां सिंगल यूज प्लास्टिक का माहौल पूरी तरह बन चुका है। आगे भी हम इस तरह के निर्णयों से प्लास्टिक मुक्ति में अपनी बड़ी भागीदारी निभाएंगे।
गल् लाराम, प्रमुख, ग्राम विकास समिति, केशोपुरा आदर्श ग्राम
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