script5 साल में एक दर्जन मामलों में एसीबी विफल | ACB failed in a dozen cases in 5 years | Patrika News
जयपुर

5 साल में एक दर्जन मामलों में एसीबी विफल

घूसखोर अब भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) से अधिक होशियार हो गए हैं। वे नए पैतरे अपना रहे हैं। इससे एसीबी का पासा उल्टा पड़ रहा है। यही वजह है कि बीते पांच साल में ऐसे मामलों की फेहरिस्त लम्बी है, जिनमें सत्यापन के दौरान भले ही रिश्वत की मांग की गई हो, लेकिन ब्यूरो की ट्रेप की कार्रवाई फेल हो गई। सत्यापन के आधार पर ही आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज करना पड़ रहा। घूसखोर भनक लगने के चलते घूस की राशि नहीं ले रहे। यदि ले भी रहे तो तो भनक लगने पर वापस लौटा देते हैं या रिश्वत की राशि लेकर भाग जाते हैं।

जयपुरOct 04, 2022 / 11:37 pm

Anand Mani Tripathi

ACB

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घूसखोर अब भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) से अधिक होशियार हो गए हैं। वे नए पैतरे अपना रहे हैं। इससे एसीबी का पासा उल्टा पड़ रहा है। यही वजह है कि बीते पांच साल में ऐसे मामलों की फेहरिस्त लम्बी है, जिनमें सत्यापन के दौरान भले ही रिश्वत की मांग की गई हो, लेकिन ब्यूरो की ट्रेप की कार्रवाई फेल हो गई। सत्यापन के आधार पर ही आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज करना पड़ रहा। घूसखोर भनक लगने के चलते घूस की राशि नहीं ले रहे। यदि ले भी रहे तो तो भनक लगने पर वापस लौटा देते हैं या रिश्वत की राशि लेकर भाग जाते हैं।

इसलिए हो रहा ऐसा

एसीबी में बरसों से कर्मचारी जमे हैं। इससे लोग उन्हें पहचानते हैं। सत्यापन हो जाता है, लेकिन ट्रेप के समय विभागों के आसपास उन्हें देखकर सम्बंधित सतर्क हो जाते हैं। ऐसा भी होता है कि उनके शुभचिंतक उन्हें इशारा कर देते हैं। कई बार सत्यापन प्रक्रिया के बाद परिवादी ही सरकारी कर्मचारी को ब्लैकमेल करने की नीयत से सूचित कर देता है।

कार्रवाई से पहले भनक लगने से नहीं ले रहे रिश्वत

पुलिस ही नहीं, अन्य सरकारी विभागों के कर्मचारी एसीबी के पैतरों को समझने लगे हैं। शिकायत मिलने के बाद एसीबी आरोपियों की मांग रिकॉर्ड करने के लिए परिवादी को टेप देकर भेजती है, ताकि अदालत में इसे साक्ष्य के रूप में पेश कर सके। कई बार परिवादी की संदिग्ध गतिविधियों से भ्रष्ट कार्मिक को भनक लग जाती है। ऐसे में वह परिवादी से दूरी बना लेते हैं। अधिकतर मामलों में डिमांड का सत्यापन होने के बावजूद रिश्वत की राशि नहीं ली गई।

संदिग्ध हावभाव का असर

कई बार परिवादी के घबरा जाने और संदिग्ध हाव-भाव से ट्रेप की कार्रवाई पर असर पड़ता है। भनक लगने से रिश्वत लेना वाला सतर्क हो जाता है। हालांकि रिश्वत की शिकायत करने वाले को समझा कर भेजा जाता है।

– बृजराजसिंह, एएसपी, एसीबी, भीलवाड़ा

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