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जयपुर

गुर्जर आंदोलन के चलते एक दिन पूर्व स्थगित करनी पड़ी ये प्रतियोगी परीक्षा

प्रतियोगी कर्मचारी चयन बोर्ड का फैसला, रविवार को होनी थी परीक्षा

जयपुरFeb 09, 2019 / 12:45 pm

Mridula Sharma

gurjar

गुर्जर आंदोलन के चलते एक दिन पूर्व स्थगित करनी पड़ी ये प्रतियोगी परीक्षा

जयपुर. आरक्षण की मांग को लेकर गुर्जर एक बार फिर आंदोलन की राह पर उतर गए हैं। सर्द मौसम में भी गुर्जर आंदोलनकारी रेलवे ट्रैक पर डटे हुए हैं। शनिवार सुबह दौसा—सिकंदरा चौराहे पर भी गुर्जर नेता भारी समर्थकों के साथ रणनीति बनाने में जुटे हुए थे। गुर्जरों ने मांगे नहीं मानने पर उग्र आंदोलन की चेतावनी दी है, इसे देखते हुए प्रतियोगी परीक्षा कर्मचारी चयन बोर्ड ने रविवार को होने वाली प्रतियोगी परीक्षा स्थगित कर दी है।
रविवार को पर्यवेक्षक व कृषि पर्यवेक्षक भर्ती परीक्षा होनी थी, लेकिन गुर्जर आंदोलन के चलते बोर्ड ने इसे स्थगित करने का फैसला किया है। नई तिथि की घोषणा बाद में की जाएगी। वैसे भी गुर्जर नेता कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला ने इस बार साफ कह दिया है कि, सरकार कई बार आरक्षण के नाम पर धोखा दे चुकी है। अब धोखा नहीं खाएंगे। वार्ता के लिए ट्रेक पर ही आना होगा। रेलवे ट्रेक बाधित होने के चलते प्रदेश में परिक्षार्थियों को एक जगह से दूसरी जगह जाने में समस्या उठानी पड़ती, उसे ध्यान में रखते हुए बोर्ड ने ये फैसला किया है।

गुर्जर आंदोलन के दौरान सवाईमाधोपुर में रेलवे ट्रैक पर दूर-दूर तक तंबू गाड़ दिए गए हैं। शुक्रवार रात सर्दी से बचने के लिए जगह-जगह अलाव भी जलाए गए। वहीं ठंड़ी रात में ट्रैक पर मौजूद गुर्जर समुदाय के लोगों के लिए आसपास के गांव वालों ने चाय-नाश्ते के साथ ही खाने की व्यवस्था भी की। सुत्रों के अनुसार आरक्षण के लिए आंदोलन कर रहे गुर्जर समाज के लोगों के भोजन की तैयारी मकसूदन पूरा स्थित देवनारायण मन्दिर में हो रही है। यहां आसपास के 15 गांवों के लोग भोजन से संबंधित व्यवस्थाओं में जुटे हुए हैं। इस दौरान गुर्जर समाज में खासा उत्साह भी देखने को मिल रहा है। इन सब के बीच कुछ लोग भजन कीर्तन भी कर रहे हैं।

पड़ाव स्थल मलारना स्टेशन से ढाई किमी दूर
गुर्जर समाज के आंदोलनकारियों ने जहां पड़ाव डाला है वह मलारना स्टेशन से करीब ढाई किलोमीटर दूर बताया जा रहा है। रेलवे ने इसे लेवल क्रॉसिंग गेट संख्या 167 बताया है। पड़ाव स्थल के निकट पहला गांव मकसूदनपुरा ही पड़ता है। गांव की मुख्य सडक़ से करीब दो किलोमीटर दूर तक पैदल चलकर रेलवे ट्रैक तक पहुंचना पड़ता है। बैंसला भी जीप में बैठकर ट्रैक तक पहुंचे थे। हालांकि प्रशासन का वहां तक पहुंचना आसान नहीं है।
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