मान्यता है कि इस व्रत को करने वाले व्रती को मोक्ष की प्राप्ति होती है। ज्योतिषाचार्य पंडित सोमेश परसाई बताते हैं कि इस व्रत को करने से समस्त पापों का नाश होता है और आत्मा मृत्यु के बाद बैकुंठ धाम की ओर चली जाती है। यह व्रत करने वाले को अश्वमेध यज्ञ के बराबर फल की प्राप्ति होती है। यही कारण है कि स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को अजा एकादशी के व्रत का महत्व समझाया था।
एकादशी का व्रत थोड़ा कठिन है. ज्योतिषाचार्य पंडित नरेंद्र नागर के अनुसार इस दिन किसी भी प्रकार के अनाज का सेवन नहीं करना चाहिए। पूरे दिन निर्जला या एक समय फलाहार करके व्रत रखा जाता है। व्रत रखने वाले को दिनभर श्रीहरि का स्मरण करना चाहिए। स्नान आदि से निवृत्त होकर सबसे पहले व्रत का संकल्प लेकर भगवान विष्णु की विधिविधान से पूजा और आरती करें। इस दिन विष्णुजी को तुलसी जरूर समर्पित करें। विष्णु सहस्रनाम का पाठ करना और दान देने का भी महत्व है।