जयपुर

Aja Ekadashi 2020 – राजयोग बनाने वाली एकादशी, इस पाठ से प्रसन्न होते हैं विष्णु भगवान

भाद्र मास के कृष्‍ण पक्ष की एकादशी का अलग महत्व है जिसे अजा एकादशी कहा जाता है। इसी एकादशी पर व्रत के प्रभाव ने सत्यवादी राजा हरिश्चन्द्र का खोया हुआ राजपाट लौटाया था।

जयपुरAug 15, 2020 / 08:54 am

deepak deewan

Aja Ekadashi Vrat Importance and Puja Vidhi

जयपुर. भगवान विष्णु सृष्टि के पालनकर्ता हैं और जीवन के सभी सुख प्राप्त करने के लिए इनकी पूजा-आराधना की जाती है। भगवान श्रीविष्णु की प्रसन्नता और आशीर्वाद के लिए एकादशी व्रत-पूजा सर्वोत्तम है। इनमें भी भाद्र मास के कृष्‍ण पक्ष की एकादशी का अलग महत्व है जिसे अजा एकादशी कहा जाता है। इसी एकादशी पर व्रत के प्रभाव ने सत्यवादी राजा हरिश्चन्द्र का खोया हुआ राजपाट लौटाया था।
मान्‍यता है कि इस व्रत को करने वाले व्रती को मोक्ष की प्राप्ति होती है। ज्योतिषाचार्य पंडित सोमेश परसाई बताते हैं कि इस व्रत को करने से समस्‍त पापों का नाश होता है और आत्‍मा मृत्‍यु के बाद बैकुंठ धाम की ओर चली जाती है। यह व्रत करने वाले को अश्‍वमेध यज्ञ के बराबर फल की प्राप्ति होती है। यही कारण है कि स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को अजा एकादशी के व्रत का महत्व समझाया था।
एकादशी का व्रत थोड़ा कठिन है. ज्योतिषाचार्य पंडित नरेंद्र नागर के अनुसार इस दिन किसी भी प्रकार के अनाज का सेवन नहीं करना चाहिए। पूरे दिन निर्जला या एक समय फलाहार करके व्रत रखा जाता है। व्रत रखने वाले को दिनभर श्रीहरि का स्‍मरण करना चाहिए। स्नान आदि से निवृत्त होकर सबसे पहले व्रत का संकल्प लेकर भगवान विष्णु की विधिविधान से पूजा और आरती करें। इस दिन विष्णुजी को तुलसी जरूर समर्पित करें। विष्णु सहस्रनाम का पाठ करना और दान देने का भी महत्व है।

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