जयपुर

जाटों से ‘क्रान्ति‘ के कारण बनी करणी सेना, राजपूतों की शान के लिए पद्मावती के ‘विद्रोही‘ बन गए कालवी

करणी सेना की स्‍थापना 2006 में हुर्इ थी। लोकेंद्र सिंह कालवी और अजीत सिंह मामडोली करणी सेना की स्थापना करने का दावा करते हैं।

जयपुरJan 27, 2018 / 01:53 pm

santosh

जयपुर। पद्मावती फिल्म के विराेध काे लेकर राजपूती शान की रक्षा की बात कही जा रही है। कहा जाता है कि राजपूत कभी पीठ नहीं दिखाते हैं, युद्ध जीतकर आते हैं या जान देकर। अगर राजपूतों के इतिहास पर नजर डाली जाए ताे यह साबित भी हाेता है। जब राजपूत शौर्य और बलिदान का बखान करते हैं तो समाज के लाेगाें में जाेश, जुनून और शान का भाव अपने आप आ जाता है।
 

जनवरी 2017 से पहले श्री राजपूत करणी सेना (SRKS) के बारे में इंटरनेट यूजर्स की खास दिलचस्पी नहीं थी, लेकिन ‘पद्मावत’ के विराेध के बाद से वह सुर्खियाें में आर्इ।

 
करीब एक साल पहले जयपुर के जयगढ़ किले में पद्मावत की शूटिंग के दौरान संजय लीला भंसाली के साथ करणी सेना ने बदसलूकी की थी। उसके बाद से फिल्म के विराेध का सिलसिला जारी है। वैसे तो करणी सेना कोई राजनीतिक संगठन नहीं है, इसके बावजूद राजनीतिक दल कहीं न कहीं इनके साथ खड़े नजर आए हैं।
 

जानिए क्या है करणी सेना का इतिहास
करणी सेना की स्‍थापना 2006 में राजपूतों को आरक्षण दिलाने के नाम पर हुर्इ थी। एक असफल राजनेता लोकेंद्र सिंह कालवी और बिल्डर अजीत सिंह मामडोली करणी सेना की स्थापना करने का दावा करते हैं।
 

मामडोली कहते हैं कि उन्होंने करणी सेना की स्थापना के कुछ माह बाद कालवी को इससे जुड़ने का न्योता दिया था। वहीं कालवी का कहना है कि वह इसके सह-संस्थापक हैं। दोनों ने अपने रास्ते 2008 राजस्थान चुनाव में अलग कर लिए थे।
 

फिलहाल दोनों शख्श एक ही नाम के संगठन के दो अलग-अलग धड़ों की अगुआई करते हैं। संगठन के नाम पर दोनों दावे करते हैं और यह मामला अदालत में विचाराधीन है। कालवी का दावा है कि उनके धड़े से 7 लाख 64 हजार सदस्य जुड़े हुए हैं। वहीं, मामडोली का दावा 2.62 लाख सदस्याें का है।
 

करणी सेना के गठन के समय मुख्‍य आधार आरक्षण था, लेकिन इसके बाद बाद 11 प्रमुख उद्देश्‍य तय किए गए। इनमें इतिहास से छेड़छाड़ पर सख्‍ती से विरोध, राजपूत आरक्षण, राजपूतों में एकता, राजपूत महिलाओं को शिक्षा देने और आत्मनिर्भर बनाने की बातें शामिल थीं।
 

लोकेंद्र सिंह कालवी
छह फुट चार इंच लंबे लोकेंद्र सिंह कालवी करणी सेना का सबसे खास चेहरा हैं। जब कालवी सभाआें में बाेलते हैं ताे लाेगाें में जाेश भर जाता है। कालवी ने अपनी इसी शैली से अपने समर्थकाें की फाैज खड़ी कर ली है।
 

अपने समाज के मुद्दों को लेकर कालवी पिछले डेढ़ दशक से काफी मुखर रहे हैं। कालवी 2008 में आशुतोष गोवारिकर की फिल्‍म जोधा अकबर के विरोध काे लेकर सुर्खियों में आए थे। अब पद्मावत विवाद से कालवी भारत ही नहीं विदेश तक चर्चित हाे गए हैं।
 

लोकेन्द्र सिंह कालवी का जन्म राजस्थान के नागौर जिले के कालवी गांव में हुआ। लोकेन्द्र सिंह कालवी के पिता कल्याण सिंह कालवी चंद्रशेखर सरकार में मंत्री रहे थे। कालवी अजमेर के मेयो कॉलेज में पढ़े हैं। कालवी हिंदी और अंग्रेजी बॉस्केटबॉल के अच्छे खिलाड़ी आैर अच्छे निशानेबाज रहे हैं।
 

लोकेंद्र सिंह कालवी ने 1993 का लाेकसभा चुनाव बताैर निर्दलीय उम्मीदवार आैर 1998 में भाजपा के टिकट पर भी चुनाव लड़ा था। लेकिन दोनों ही बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा।
 

2015 में कालवी ने श्री राजपूत करणी सेना के अपने धड़े से उसके प्रदेशाध्यक्ष सुखदेव सिंह गोगामेड़ी को बाहर का रास्ता दिखा दिया। इसके बाद, सुखदेव ने श्री राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना (SRRKS) की स्थापना की।
 

राजपूत vs जाट
लोकेन्द्र सिंह कालवी और अजीत सिंह मामडाेली इस बात से सहमत हैं कि 2006 में श्री करणी सेना की स्थापना राजपूतों के पारंपरिक विरोधी जाट समुदाय से हुए उनके टकराव के बाद हुई।
 

उसी साल रावणा राजपूत आनंदपाल सिंह ने कथित तौर पर अवैध शराब के धंधे पर वर्चस्व की लड़ाई में जीवन राम गोदारा और हरफूल राम जाट की हत्या कर दी थी। इन हत्याओं के बाद जाटों ने बड़े पैमाने पर प्रदर्शन किया।
 

इन प्रदर्शनों को विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं ने समर्थन भी दिया। आरोप है कि पुलिस ने उन सभी राजपूत लोगों को हिरासत में लिया, जो कि आनंदपाल से किसी न किसी तरीके से जुड़े हुए थे।
 

इसके विरोध में ही 23 सितंबर 2006 को राजपूत करणी सेना का निर्माण हुआ। करणी माता राजस्थान में एक देवी का नाम है। करणी माता का मंदिर प्रदेश के बीकानेर जिले में स्थित है।

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