गौरतलब है कि केंद्र सरकार किसानों और पशुपालकों की आय में वृद्धि करने के साथ ही स्वदेशी नस्लों के संरक्षण तथा अनुवांशिकी विकास के उद्देश्य से राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम के तहत टीकाकरण अभियान का संचालन कर रही है। आपको बता
दें कि वैक्सीनेटर को प्रति पशु वैक्सीनेशन के लिए तीन रुपए और ईयर टैगिंग की डेटा एंट्री के लिए दो रुपए
मानदेय के रूप में दिए जा रहे थे।
केंद् प्रवर्तित इस योजना के मानदेय को लेकर वेटरनरी फैडरेशन ऑफ इंडिया के नेशनल कॉर्डिनेटर (राष्ट्रीय समन्वयक) अजय सैनी ने इस संबंध में मंत्रालय में पत्रव्यवहार किया। जिसके बाद मंत्रालय की ओर से इस संबंध में स्पष्टीकरण जारी किया है। जिसमें स्पष्ट किया गया है कि इनाफ के तहत रजिस्टर्ड हर वैक्सीनेटर फिर वह निजी हो या सरकारी सभी को मानदेय का भुगतान किया जाएगा। मंत्रालय के संयुक्त सचिव उपमन्यु बसु की ओर से जारी किए गए इन आदेशों का फायदा न केवल राजस्थान बल्कि पूरे देश में इस योजना के तहत कार्यरत वैक्सीनेटर्स को मिलेगा क्योंकि यह योजना राजस्थान के साथ ही देश के अन्य राज्यों में भी संचालित की जा रही है।
इनका कहना है,
मंत्रालय ने उन सभी कृत्रिम गर्भाधान कार्यकर्ताओं का मानदेय का भुगतान किए जाने की बात कही है जो इनाफ के तहत रजिस्टर्ड हैं। मंत्रालय के संयुक्त सचिव ने इस संबंध में स्पष्टीकरण दिया है। वेटरनरी फैडरेशन ऑफ इंडिया इसका स्वागत करती है इसका फायदा देश भर के कृत्रिम गर्भाधान कार्यकर्ताओं को मिल सकेगा। केंद्र सरकार को कृत्रिम गर्भाधान कार्यकर्ताओं को दिए जाने वाले मानदेय को भी फिर से शुरू करना चाहिए।
अजय सैनी, राष्ट्रीय समन्वयक,
वेटरनरी फैडरेशन ऑफ इंडिया