छोटे स्टेशनों की रौनक भी गायब
जानकारी के अनुसार लॉकडाउन से पहले उत्तर पश्चिम रेलवे जोन के चारों मंडलों में 360 जोड़ी मेल-सुपरफास्ट-एक्सप्रेस, 132 जोड़ी पैसेंजर और 56 जोड़ी डेमू ट्रेनों का संचालन हो रहा था। एक जून से ट्रेनों का सफर फिर से शुरू हुआ। जिसमें नियमित चल रही ट्रेनों को रेलवे ने स्पेशल नंबरों से शुरू कर दिया। इनमें अमूमन साप्ताहिक, त्रि-साप्ताहिक या द्वि-साप्ताहिक ट्रेनें शामिल हैं। अब तक करीब 59 जोड़ी ट्रेनों को स्वीकृति मिल गई। इसमें सभी सुपरफास्ट, एक्सप्रेस या मेल हैं जबकि एक भी डेमू या लोकल पैसेंजर ट्रेन नहीं है। इनके कारण रोजाना लाखों दैनिक यात्रियों को बसों से यात्रा करनी पड़ रही है। क्योंकि लोकल पैसेंजर ट्रेनों में अमूमन दैनिक यात्री ही सफर करते हैं। इसके अलावा छोटे स्टेशनों की रौनक भी गायब हो गई है। उन्हें सात महीने से इंतजार करना पड़ रहा है। इधर, एमएसटी भी शुरू नहीं हुई।
जानकारी के अनुसार लॉकडाउन से पहले उत्तर पश्चिम रेलवे जोन के चारों मंडलों में 360 जोड़ी मेल-सुपरफास्ट-एक्सप्रेस, 132 जोड़ी पैसेंजर और 56 जोड़ी डेमू ट्रेनों का संचालन हो रहा था। एक जून से ट्रेनों का सफर फिर से शुरू हुआ। जिसमें नियमित चल रही ट्रेनों को रेलवे ने स्पेशल नंबरों से शुरू कर दिया। इनमें अमूमन साप्ताहिक, त्रि-साप्ताहिक या द्वि-साप्ताहिक ट्रेनें शामिल हैं। अब तक करीब 59 जोड़ी ट्रेनों को स्वीकृति मिल गई। इसमें सभी सुपरफास्ट, एक्सप्रेस या मेल हैं जबकि एक भी डेमू या लोकल पैसेंजर ट्रेन नहीं है। इनके कारण रोजाना लाखों दैनिक यात्रियों को बसों से यात्रा करनी पड़ रही है। क्योंकि लोकल पैसेंजर ट्रेनों में अमूमन दैनिक यात्री ही सफर करते हैं। इसके अलावा छोटे स्टेशनों की रौनक भी गायब हो गई है। उन्हें सात महीने से इंतजार करना पड़ रहा है। इधर, एमएसटी भी शुरू नहीं हुई।
अधिकारी बोले, संभावना तो है
उधर, रेलवे अधिकारियों का कहना है कि बोर्ड ने प्रस्ताव मांगे थे, उसी के अनुसार ट्रेनों का संचालन शुरू हुआ है। हालांकि कुछ मंडलों में लोकल पैसेंजर और डेमू ट्रेनों शुरू हो गई हैं। यहां भी संभावनाएं नजर आ रही हैं।
उधर, रेलवे अधिकारियों का कहना है कि बोर्ड ने प्रस्ताव मांगे थे, उसी के अनुसार ट्रेनों का संचालन शुरू हुआ है। हालांकि कुछ मंडलों में लोकल पैसेंजर और डेमू ट्रेनों शुरू हो गई हैं। यहां भी संभावनाएं नजर आ रही हैं।