वार्ता में अधिकतर मांगों पर सहमति बनी और 8 घंटे की नौकरी के बाद एंबुलेंस कर्मचारियों को ओवरटाइम देने का निर्णय हुआ। इसके बाद कर्मचारियों ने अपनी हड़ताल को समाप्त करने की घोषणा की। उधर हड़ताल के कारण दिन में मरीजों को भी खासी परेशानी का सामना करना पड़ा।
एंबुलेंस कर्मचारी अपनी विभिन्न मांगों को लेकर पिछले कई महीनों से आंदोलनरत थे। पिछले दिनों 11 अक्टूबर को भी उनकी सरकार से वार्ता हुई, लेकिन वार्ता में कोई सकारात्मक परिणाम नहीं निकला। दो दिन बाद एंबुलेंस प्रदाता कंपनी का ठेका समाप्त होने वाला था। ऐसे में कर्मचारियों ने बुधवार सुबह 6 बजे से हड़ताल की घोषणा कर दी।
राजस्थान एबुलेंस कर्मचारी यूनियन के प्रदेशाध्यक्ष वीरेन्द्र सिंह शेखावत ने बताया कि एंबुलेंस कर्मचारियों ने अपनी मांगों को लेकर सरकार को 11 अक्टूबर से हड़ताल की चेतावनी दे रखी थी, लेकिन परियोजना निदेशक अनिल पालीवाल ने उन्हें वार्ता के लिए बुलाया। वार्ताओं के दौर के चलते प्रस्तावित हड़ताल को स्थगित कर दिया गया था। उन्होंने कहा कि एंबुलेंस कर्मचारी अक्टूबर 2019 से अपनी मांगों को लेकर सघंर्षरत हैं, लेकिन आजतक आश्वासन के अलावा कुछ नहीं मिला।
उन्होंने कहा कि एंबुलेंस कर्मचारी चाहते हैं कि नया ठेका नई शर्तों के साथ हो। एंबुलेंस वाहनों की समय पर सार संभाल हो, एंबुलेस वाहनों में कोरोना से सुरक्षा के लिए मास्क ग्लफ्स, सेनेटाइजर इत्यादि उपलब्ध करवाया जाए, समय पर वेतन वृद्धि हो तथा 8 घंटे की नौकरी के बाद ओवर टाइम मिले। वार्ता में इन मांगों पर सहमति बनी।