दरअसल, रविवार को छुट्टी होने के बावजूद कुलपति सचिवालय में सिंडिकेट की विशेष बैठक बुलाई गई थी। ये बैठक छात्रसंघ चुनाव 2017 के मद्देनज़र अहम मानी जा रही थी। बीजेपी के विधायक मोहनलाल गुप्ता यहां पर सिंडिकेट सदस्य के तौर पर पहुंचे थे। बैठक में कुछ ऐसे प्रस्तावों पर मुहर लगाई गई जिससे कई छात्र नेताओं के चुनाव लड़ने की उम्मीदों पर पानी फिर गया था।
इस खबर के बाहर आते ही पहले से ही वहां मौजूद एनएसयूआई के छात्र नेताओं ने हंगामा शुरू कर दिया। बैठक ख़त्म होने के बाद जैसे ही विधायक बाहर निकले छात्र नेताओं और कार्यकर्ताओं ने उनके वाहन की हवा निकाल दी। गुप्ता को घेरकर काफी देर तक कार्यकर्ताओं ने हंगामा भी मचाया। बीच बचाव में पुलिस भी पहुंची लेकिन वाहन की हवा निकालने से कार्यकर्ताओं को रोक नहीं सकी। इसके बाद विधायक गाडी छोड़कर कुछ दूर पैदल ही निकलने लगे। आखिरकार काफी मशक्कत के बाद पुलिस ने विधायक गुप्ता को उसी वाहन में बैठाकर रवाना किया जिसमेंवे पहुंचे थे।
गर्माया रहा कैम्पस का माहौल
छात्रसंघ चुनाव की तारीख घोषित होने के साथ ही विश्वविद्यालय कैम्पस में चुनावी माहौल गरमाना शुरू हो गया। लेकिन रविवार को अवकाश के दिन हुई सिंडीकेट की बैठक ने उन छात्रनेताओं की उम्मीदों पर पानी फिर गया जो कल तक टिकिट की दावेदारी पेश कर रहे थे। सिंडिकेट की हुई बैठक में एक ऐसे प्रस्ताव को पारित कर दिया गया जो विश्वविद्यालय के नियम-कानून के आगे छात्र नेताओं की उम्मीदों पर पानी फेरने के लिए काफी है।
दरअसल, उच्च शिक्षा विभाग ने हालही में चुनाव के संबंध में एक नियम जारी किया था जिस पर सिंडीकेट की मुहर लगाने के लिए छुट्टी के दिन रविवार को राजस्थान विश्वविद्यालय में विशेष बैठक बुलाई गई थी। इस नियम के अनुसार किसी अन्य यूनिवर्सिटी से स्नातक कर राजस्थान यूनिवर्सिटी से स्नातकोत्तर करने वाला छात्र चुनाव नहीं लड़ सकेगा।
नियम को सिंडीकेट की हरी झंडी मिलते ही कई छात्रनेताओं को बड़ा झटका लगा है। सिंडीकेट के फैसले के खिलाफ एनएसयूआई के छात्रनेताओं ने कुलपति सचिवालय पहुंचकर नाराजगी जताई। इसी बीच एनएसयूआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष फिरोज खान भी कैंपस पहुंचे और कुलपति आरके कोठारी से मुलाकात की। कोठारी ने पूरे मामले में उच्च शिक्षा मंत्री किरण माहेश्वरी से वार्ता की बात कही है। सिंडीकेट का फैसला, छात्र नेताओं का विरोध और विभाग के आदेश के बीच आगामी छात्रसंघ चुनाव कैसा रूख लेंगे यह एक-दो दिन बाद ही पता चल सकेगा। साथ ही चुनाव अधिसूचना जारी होने के बाद चुनाव संविधान में संशोधन करने पर भी सवालिया निशान खड़े हो रहे है।