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जयपुर

बीमार होने से पहले अमिताभ बच्चन ने किया था ये पुनीत कार्य, काम आई इनकी दुआ

कौन बनेगा करोड़पति (kbc news) में राजस्थान से एक ऐसा शख्स पहुंचा है जिसने जीते तो कितने ही रुपए हो, लेकिन कहानी सुनकर अमिताभ बच्चन (amitabh bacchan)ने 11 लाख रुपए दे दिए। इतना ही नहीं 1100 कुर्ते भी बिग बी ने भिजवाए।

जयपुरOct 19, 2019 / 02:49 am

Dinesh Gautam

बीमार होने से पहले अमिताभ बच्चन ने किया था ये पुनीत कार्य, काम आई इनकी दुआ

बीमार होने से पहले अमिताभ बच्चन ने किया था ये पुनीत कार्य, काम आई इनकी दुआ

जयपुर rajasthan latest news कौन बनेगा करोड़पति (kbc news) में राजस्थान से एक ऐसा शख्स पहुंचा है जिसने जीते तो कितने ही रुपए हो, लेकिन कहानी सुनकर अमिताभ बच्चन (amitabh bacchan)ने 11 लाख रुपए दे दिए। इतना ही नहीं 1100 कुर्ते भी बिग बी ने भिजवाए। महानायक का इतना बड़ा दिल देखकर भरतपुर के इस शख्स की आंखें भर आई। खास बात यह है कि अमिताभ ने उनके काम की भरपूर तारीफ की।
बेसहारा और गरीब बच्चों की मदद करने वाले तो आपको कई लोग मिल जाएंगे लेकिन कोई इंसान अपना पूरा जीवन ही ऐसे बच्चों का भविष्य संवारने में लगा दे, यह बहुत बड़ी बात है। ऐसे अपना घर के संस्थापक डॉ. बीएम भारद्वाज अब 25 अक्टूबर को कौन बनेगा करोड़पति (केबीसी) के शो में नजर आएंगे।
शूटिंग के दौरान फिल्म अभिनेता अमिताभ बच्चन ने अपना घर के मकसद, विस्तार एवं सुबह से लेकर शाम तक की जाने वाली सेवा को बारीकी से समझा। अपनाघर आश्रम में सभी आवासियों को प्रभुजी कहकर संबोधित किया जाता है। देशभर में अपनाघर के ३१ व नेपाल में एक आश्रम संचालित है।
इनमें से भरतपुर में तीन हजार 48 समेत सभी जगह छह हजार आवासी हैं। अमिताभ बच्चन ने अपना घर में सभी प्रभुजी को आवश्यक रूप से प्रवेश देना, देश के सभी शहरों में अपना घर आश्रम स्थापित करना एवं सभी जरूरतों की चिट्ठी ठाकुर जी को लिखना तथा असहाय बीमार आश्रयहीनों की सेवा जैसे कामों को जाना।
अमिताभ बच्चन ने अपना घर की सेवाओं के लिए अपने निजी कोष से राशि 11 लाख अपना घर के खाते में आरटीजीएस के माध्यम से भेजी है। जो संस्था की ओर से प्राप्त कर ली गई है। प्रबंधक राजेश यादव ने बताया कि अमिताभ बच्चन की ओर से दीपावली के पावन पर्व पर आश्रम में रह रहे लोगों के लिए 1100 उच्च क्वालिटी के कुर्ते भेजे गए हैं।
बताते हैं कि डॉ. भारद्वाज जब कक्षा छह में पढ़ते थे, उस समय चिरंजीलाल नामक ग्वाला उनकी बगीची पर रहा करता था। वह पूरे गांव में पशुओं को चराता घूमता था। जीवन के आठ दशक पूरे कर चुके चिंरजी के शरीर पर एक बार जख्मों में कीड़े पडऩे लगे तो लोग उनका साथ छोड़ गए। यह देखकर भारद्वाज को बहुत दुख होता था। कुछ दिन तक ग्वाला चिंरजी की सेवा भी की, लेकिन उसे बचाया नहीं जा सका। इस घटना के बाद उन्होंने मानव सेवा की ठानी।

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