अंडमान निकोबार, मालदीव को कराना पड़ेगा खाली
जलवायु परिवर्तन के कारण अंडमान और निकोबार जैसे द्वीप समुद्र के स्तर में हो रही वृद्धि और चक्रवात जैसी घटनाओं में वृद्धि के कारण कुछ वर्षों बाद रहने लायक नहीं बचेंगे। अंडमान और निकोबार, मालदीव जैसे द्वीपों को खाली करना होगा। समुद्र के बढ़ते स्तर के कारण लोगों को वहां से पलायन करना पड़ेगा। वहीं, महासागरों के गर्म होने से भारत में चक्रवात जैसी जलवायु घटनाओं की गंभीरता बढ़ जाएगी।
तूफान और अल नीनो का ज्यादा खतरा
संयुक्त राष्ट्र समर्थित पैनल द्वारा मोनाको में प्रस्तुत किए गए विश्लेषण में कहा गया है कि जलवायु परिवर्तन ने समुद्र के तापमान को बढ़ा दिया है, जिससे वे ज्यादा एसेडिक, कम उपजाऊ हो गए हैं। साथ ही तूफान और अल नीनो जैसे मौसम संबंधी घटनाओं के और घातक होने का खतरा बढ़ गया है।
चेंजिंग क्लाइमेट में ओशन एंड क्रायोस्फीयर पर विशेष रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर जलवायु परिवर्तन वर्तमान गति से बढ़ता रहा तो यूरोप, पूर्वी अफ्रीका के ग्लेशियर, एंडीज और इंडोनेशिया की उष्णकटिबंधीय सदी के अंत तक अपने द्रव्यमान का 80 प्रतिशत खो सकते हैं। इस तरह के बदलावों से पानी की गुणवत्ता, कृषि, पर्यटन और ऊर्जा उद्योग प्रभावित होगा।
पर्वतीय क्षेत्रों में रहने वाले लोगों पर खतरा
आइपीसीसी ने निष्कर्ष निकाला है कि महासागरों ने 1980 के दशक से वैश्विक गैस उत्सर्जन का एक चौथाई हिस्सा अवशोषित किया हैए जिससे उन्हें अधिक एसेडिक बना दिया है। वैज्ञानिकों के पैनल ने यह भी चेतावनी दी थी कि आर्कटिक के बर्फ में कमी आ रही है। समुद्र का बढ़ता स्तर और बर्फ पिघलना विशेष रूप से पर्वतीय क्षेत्रों में रहने वाले 670 मिलियन लोगों, 680 मिलियन निचले इलाकों में रहने वाले लोगोंए चार मिलियन आर्कटिक क्षेत्रों में रहने वाले और 65 मिलियन छोटे द्वीपों पर रहने वाले लोगों के जीवन को प्रभावित करेगा।