‘एनसीपीईडीपी-जावेद आबिदी फेलोशिप ‘के लिए आवेदन मांगे
विकलांगता से पीडि़त युवा कर सकेंगे आवेदनआवेदन की अंतिम तिथि 11 अगस्त
‘एनसीपीईडीपी-जावेद आबिदी फेलोशिप ‘के लिए आवेदन मांगे
जयपुर,16 जून
विकलांगता से पीडि़त युवाओं की जमीनी स्तर की समस्याओं को जानने उनके खिलाफ आवाज उठाने का काम अब अजीम प्रेमजी फाउंडेशन करेगा। फाउंडेशन नेशनल सेंटर फॉर प्रमोशन ऑफ एम्प्लॉयमेंट फॉर डिसेबल्ड (एनसीपीईडीपी) विकलांगता पर ‘एनसीपीईडीपी-जावेद आबिदी फेलोशिपÓ कार्यक्रम शुरू करने का निर्णय लिया है, जो विकलांगता की समस्या में रुचि रखने वाले, विकलांगता अधिकार और समावेशन में करियर बनाने के अवसर की तलाश कर रहे विकलांगता से पीडि़त युवाओं के लिए एक तीन वर्षीय फेलोशिप कार्यक्रम है।
एनसीपीईडीपी के कार्यकारी निदेशक अरमान अली ने कहा, कोविड से विकलांगता से पीडि़त लोग भी काफी प्रभावित हुए हैं। उन्हें भोजन, मूलभूत स्वास्थ्य देखभाल की पहुंच, शिक्षा और आजीविका के अवसरों के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। फेलोशिप प्राप्त छात्र देश भर से संघर्ष की ऐसी कहानियों और अच्छी प्रथाओं के डॉक्यूमेंटेशन में मदद करेंगे। इस फेलोशिप कार्यक्रम के जरिए विकलांगता से पीडि़त 25 युवाओं को प्रशिक्षित किया जाएगा और उन्हें इनसे जुड़ी समस्याओं के खिलाफ आवाज उठाने के लिए सक्षम किया जाएगा। उनके रिसर्च और कार्यों के आधार पर ज़मीनी स्तर से नया कथानक उभर कर सामने आएगा जो विकलांगता ईकोसिस्टम में नीति, पक्ष समर्थन और कार्यान्वयन के भविष्य का मार्गदर्शन करेगा।
इस फैलोशिप के लिए 18 से 28 वर्ष की आयु के विकलांग पात्र होंगे। तीन साल के इस प्रोग्राम में फेलोशिप कर रहे युवाओं को 25 हजार रुपए की छात्रवृत्ति दी जाएगी। उन्होंने इस दौरान विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से नीति में बदलाव की दिशा में काम करने के लिए मार्गदर्शन की सहायता भी प्राप्त होगी। फेलोशिप का उद्देश्य एक सामाजिक उद्यमशीलता तैयार करना भी है ।
एनसीपीईडीपी के अध्यक्ष सोम मित्तल ने कहा कि विकलांगता से जुड़े डाटा और रिसर्च की जरूरत इससे पीडि़त लोगों के सशक्तीकरण के लिए नीति निर्माण के लिए है। फेलोशिप कार्यक्रम 1 सितंबर, 2021 से शुरू होगा। आवेदन करने की अंतिम तिथि 11 अगस्त निर्धारित की गई है। फेलोशिप से संबंधित अधिक जानकारी से मिल सकेगी।
गौरतलब है कि एनसीपीईडीपी विकलांगता से पीडि़त व्यक्तियों के सशक्तिकरण की दिशा में सरकार, उद्योग, अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों और स्वसंसेवी क्षेत्रों के बीच इंटरफेस के रूप में काम करती है। इसका उद्देश्य विकलांग व्यक्तियों के रोजग़ार के लिए प्रोत्साहन देना, इस विषय पर जागरुकता बढ़ाना और विकलांगता से पीडि़त व्यकित को लिए सार्वजनिक जगहों परआसान और सुविधाजनक पहुंच सुनिश्चित करना है।