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जयपुर

बजट सत्र में वोट बैंक खातों में घोषणाएं भरेगी मोदी सरकार! वित्त मंत्री के लिए अग्निपरीक्षा से कम नहीं…

बजट सत्र में राजनीति रुप से मोदी सरकार को कुछ वोट बैंक के खातों को भरना होगा। कुछ अहम तबकों के लिए, बड़ी घोषणाएं…

जयपुरJan 31, 2018 / 10:37 pm

पुनीत कुमार

union budget 2018
-विशाल ‘सूर्यकांत’

जयपुर। प्रधानमंत्री के खास सिपाहेसालार और देश के वित्त मंत्री अरुण जेटली के लिए ये मौक़ा किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं…। वजह कई हैं मसलन, 2018 -2019 का बजट,मोदी सरकार के इस कार्यकाल का आखिरी पूर्ण बजट होगा। इस माहौल में मोदी सरकार को वोट बैंक भी साधना है और देश की तरक्की के लिए मजबूत आर्थिक फैसले भी लेने हैं। प्रधानमंत्री मोदी जरुर संकेत दे चुके हैं कि जरुरी नहीं कि देश को लोक लुभावन बजट मिले। लेकिन राजनीतिक परिस्थितियां ऐसी है कि वोट बैंक के खातों में मोदी सरकार को कुछ न कुछ राजनीतिक वादे और घोषणाएं भरनी होंगी। वित्त मंत्री अरुण जेटली जो बजट लाएंगे वो देश में जीएसटी लागू होने के बाद का पहला बजट होगा और सरकार का आखिरी संपूर्ण बजट।
चुनौती ये भी है कि 2018 में आठ राज्यों में चुनाव होने हैं और ज्यादातर राज्य बीजेपी या एडीए शासित सरकारों वाले हैं। अगर बजट लुभावना नहीं हुआ तो यहां वोट बैंक को साधने में मुश्किल होगी। इस बजट और बजट सत्र में राजनीति रुप से मोदी सरकार को कुछ वोट बैंक के खातों को भरना होगा। कुछ अहम तबकों के लिए, बड़ी घोषणाएं करनी होंगी। आइए आपको बताते हैं कौनसे है वो वोटबैंक के खाते, जिनमें घोषणाएं और वादे भरने हैं मोदी सरकार को…
वोट बैंक खाता नंबर-1

आम उपभोक्ता, छोटे व्यापारियों की आस-

वोट बैंक का पहला खाता आम उपभोक्ता,गृहस्थ और छोटे व्यापारियों का है। जीएसटी लागू होने के बाद,आम गृहस्थ के लिए अब महंगा,सस्ता की कोई अलग से फेहरिस्त नहीं आने वाली है। जीएसटी में सब कुछ समाहित है इसीलिए अलग-अलग वस्तुओं पर राहत, रियायत या टैक्स की अलग से कोई घोषणा नहीं होगी। एक्साइज जैसे तमाम इनडायरेक्ट टैक्स जीएसटी काउंसिल के हवाले हैं,इसलिए जेटली के बजट में ज्यादा कुछ करने की गुंजाइश नहीं। लेकिन पेट्रोल और डीजल के आसमान छूते दाम,रसोई गैस के दाम आसमान छूते रहे हैं। क्या इन्हें जीएसटी में शामिल किया जाएगा ? इस पर सभी की नजर रहेगी…सरकार की परेशानी ये है कि जीएसटी को लेकर कोई भी फैसला जीएसटी काउंसिल में होता है और डीजल,पेट्रोल पर राज्य सरकारें हैवी टैक्स कलेक्शन का हथियार केन्द्र को देने के लिए तैयार नहीं। बिना आम सहमति के ये काम हो नहीं सकता लेकिन पेट्रोल के रोज बढ़ते दामों पर आम जनता मोदी सरकार की ओर आस भरी नजर से देख रही है। ये काम मोदी सरकार के लिए अग्निपरीक्षा से कम नहीं।
वोट बैंक खाता नंबर-2

नौकरी पेशा,बेरोजगार तबका-

मोदी सरकार के लिए इस बार के बजट में दूसरा बड़ा इम्तिहान, नौकरीपेशा और बेरोजगार तबका होगा। देश में तेजी से सर्विस सेक्टर बढ़ रहा है। वो बजट में सीधे रुप से दो चीजें बारिकी से देखेंगे कि इनकम टैक्स के स्लैब,पीएफ की दरों को लेकर मोदी सरकार अपने आखिरी पूर्ण बजट में क्या सौगात देने जा रही है। अगर इस दिशा में कुछ काम नहीं हुआ तो नौकरीपेशा तबका ना-उम्मीद हो सकता है,क्योंकि इसके बाद इस कार्यकाल में सरकार को ऐसा दूसरा मौका नहीं मिलने वाला। दूसरी सबसे बड़ी चुनौती ह? रोजगार ?? के अवसर पैदा करना। मोदी सरकार का मैक इन इंडिया कन्सेप्ट फिलहाल करिश्मा नहीं दिखा पाया है। इस पहलू को आप नकार नहीं सकते कि नोटबंदी, जीएसटी ने रोजगार की व्यवस्था को बुरी तरह प्रभावित किया और रोजगार के मामले में मोदी सरकार अपने चुनावी वायदे के मुताबिक अब तक परफोर्म नहीं कर पाई है। आखिरी बजट में रोजगार सृजन की योजना क्या तैयार होगी और कैसे एक साल की अवधि में अमल में लाया जाएगा, ये दूसरी बडी अग्निपरीक्षा होगी क्योंकि पिछले चुनावों में, ये तबका मोदी सरकार के लिए पुख्ता वोटबैंक बना था।
वोट बैंक खाता नंबर-3

खेती और किसान-

मोदी सरकार, सत्ता में आने के बाद जिस मुद्दे पर सबसे ज्यादा घिरी है वो खेती और किसानी है। भूमि अधिग्रहण से लेकर किसानों की कर्ज़ माफ़ी की मांग छाई रही। किसान आत्महत्या के मामले आते रहे हैं और राज्यों में किसान आंदोलन प्रभावी तरीके से उठे हैं। बीजेपी ने अपनी प्रयोगशाला कहे जाने वाले गुजरात में विधानसभा चुनावों के दौरान ग्रामीण अंचल में अपना जनाधार खोया और चंद सीटों के फासले पर सरकार बना पाई। मध्यप्रदेश,महाराष्ट्र,राजस्थान,तमिलनाडू समेत कई राज्यों में किसान आंदोलन की आंच हिंसक हुई। सरकारी आंकड़ों के जरिए उजली तस्वीर बनाने की कोशिश हुई, किसान आंदोलन में विपक्षी पार्टियों पर आरोप लगाकर सरकार अपना बचाव करती आई है लेकिन आखिरी पूर्ण बजट में किसानों के लिए क्या होगा, ये देखने लायक बात होगी।
ख़ासकर तब जब मोदी सरकार 2022 में किसानों की आमदनी दोगुनी करने का वादा करती आई है। कांग्रेस यूपीए टू में किसानों का देशव्यापी 72 हजार करोड़ कर्ज माफ कर चुकी है। मोदी सरकार के दौर में 19 राज्यों में बीजेपी की सरकार है और किसानों को राहत देने के मामले में हर राज्य ने अपनी राजनीति के मुताबिक निर्णय किए हैं। ये बजट ऐसा होगा जिसमें केन्द्र सरकार की किसानों के प्रति खुली मंशा सामने आएगी। मोदी सरकार को किसान और ग्रामीण विकास की योजनाओं पर आखिरी बजट में जरूर कुछ करना होगा। ताकि शहरी और अमीर तबके की पार्टी के दुष्प्रचार का जवाब दिया जा सके। ये मुद्दा भी सरकार के लिए बड़ी अग्निपरीक्षा है।
वोट बैंक खाता नंबर-4

महिलाओं की स्थिति-

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी महिलाओं में खासे लोकप्रिय हैं। लेकिन देश में तीस सालों बाद आई पूर्ण बहुमत की सरकार ने महिला आरक्षण बिल को लेकर कोई पहल नहीं की है। प्रधानमंत्री मोदी महिला वोट बैंक को साधने का जतन करते रहे है। रसोई गैस को लेकर चलाई गई उज्जवला योजना की भी ब्रांडिंग भी महिलाओं को केन्द्र में रखते हुए की गई है। निर्भया फंड में राशि का उपयोग ही नहीं हो पाना भी महिला सुरक्षा को सरकारों की गंभीरता पर सवाल खड़े करता आया है।महिला स्वयं सहायता समूह, महिलाओं की आर्थिक समृद्धि के लिए मोदी सरकार को इस बजट में कुछ न कुछ ज़रूर देना होगा। ट्रिपल तलाक पर मुस्लिम महिलाओं को राहत देने का कदम उठाया लेकिन मुस्लिम महिलाओं के लिए फंड बनाए जाने की मांग सरकार के सामने उठती रही है। ट्रिपल तलाक की शिकार महिलाओं के भरण-पोषण को लेकर बजट में क्या सरकार क्या कुछ कहती है। सभी की नजर इस पर भी टिकी होगी।
वोट बैंक खाता नंबर-5

कोर इश्यू पॉलिटिक्स-

2018 -2019 का आम बजट राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है। बीजेपी राम मंदिर ,ट्रिपल तलाक,धारा 370,कॉमन सिविल कोड जैसे मुद्दों पर कोर्ट में मामले चलते रहे हैं लेकिन मोदी सरकार अब तक सीधे कुछ करने से बचती रही है। ट्रिपल तलाक में कुछ पहल की है लेकिन मामला राज्यसभा में जाकर अटक गया है। मोदी सरकार का 2019 के चुनाव से पहले मोदी सरकार का यह आखिरी पूर्ण बजट सत्र है। जेटली के बजट में भले कुछ हो न हो लेकिन इस बजट सत्र में मोदी सरकार को अपने कोर इश्यू वाले पॉलिटिकल मुद्दो पर पहल करनी होगी। अप्रेल में राज्यसभा की तस्वीर कुछ बदलने वाली है।
राज्यसभा में 55 सदस्यों का कार्यकाल खत्म होगा। देश में बीजेपी और यूपीए शासित ज्यादातर राज्यों में राज्यसभा की सीटें रिक्त होने वाली है। यूपी,हरियाणा,मध्यप्रदेश, राजस्थान,हिमाचल प्रदेश आंध्रप्रदेश,कर्नाटक,गुजरात, छत्तीसगढ़,बिहार,हिमाचल प्रदेश,ओडिसा की सीटों के बाद राज्यसभा में हर हाल में बीजेपी अपने समीकरण साधना चाहेगी। ताकि कोर इश्यू पर मोदी सरकार बड़े राजनीतिक फैसले ले सके। हाल ही में कुछ चैनल्स को दिए इंटरव्यू में, मन की बात में खुद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पहल की और देश में राष्ट्रपति अभिभाषण में दूसरा मौका था जब एक देश,एक चुनाव को लेकर मोदी सरकार की सक्रियता सामने आई। अगर ऐसा है तो ये भी संभावनाएं है कि 2019 की बजाए 2018 मे या उसके तुरंत बाद आम चुनाव हो जाएं। ऐसे में कोर पॉलिटिकल इश्यू वाले वोट बैंक के खाते में भी मोदी सरकार को इस बजट सत्र में कुछ न कुछ देना होगा।

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