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जयपुर

सेब की मिठास पर नहीं पड़ा पाकिस्तानी आतंकियों के ‘जहर’ का असर

कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के बाद से माना जा रहा था कि कश्मीर से सेबों की आपूर्ति बाधित हो रही है। कहा जा रहा था कि इससे एक तरफ तो सेबों का निर्यात कम हुआ है।

जयपुरOct 16, 2019 / 04:37 pm

Kamlesh Sharma

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स्वतंत्र जैन/जयपुर। कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के बाद से माना जा रहा था कि कश्मीर से सेबों की आपूर्ति बाधित हो रही है। कहा जा रहा था कि इससे एक तरफ तो सेबों का निर्यात कम हुआ है। दूसरी तरफ घरेलू बाजार में भी सेबों की उपलब्धता भी कम हो रही है। लेकिन कारोबारियों का कहना है कि पिछले महीने तक इसका आंशिक असर बाजार में देखा जा सकता था, पर अब ऐसा कतई नहीं है।
पत्रिका ने राजस्थान की सबसे बड़ी फल मंडी मुहाना मंडी में सेब कारोबारियों से इस बारे में बात की। कारोबारियों का कहना है कि पिछले महीने 27 सितंबर ( 27 सितंबर को पाकिस्तान ने यूएन में कश्मीर का मुद्दा उठाया था) तक जरूर सेब कारोबारियों पर आतंकियों का दबाव बताया जा रहा था।
इस कारण कारोबारियों के बागानों से सेब तोडऩे और उनके ट्रांसपोर्टेशन में तमाम बाधाएं खड़ी की जा रही थीं, जिससे सेबों की किल्लत को मुद्दा बनाकर पेश किया जा सके। लेकिन आतंकियों का यह मंसूबा पूरा नहीं हो सका, क्योंकि तब हिमाचल से भरपूर मात्रा में सेबों की आपूर्ति हो रही थी।
जिससे सेबों की आपूर्ति या फिर उनके दामों पर कोई असर नहीं आया। कारोबारियों का कहना है कि अक्टूबर में तो कश्मीर से भी सेबों की भरपूर आपूर्ति हो रही है। इस कारण सेब के दामों पर धारा 370 का कोई असर नहीं आया। आज सेब के थोक भाव मुहाना मंडी में 25 से 65 रुपए प्रति किलो बोले गए।
इस वर्ष 1.35 लाख टन की कमी जरूर
जम्मू-कश्मीर के सेब किसानों ने इस साल 9 अक्टूबर तक 4.50 लाख टन सेब का निर्यात किया है। पिछले साल की इसी अवधि में 5.79 लाख टन सेब का निर्यात हुआ था। माना जा रहा है कि जम्मू और कश्मीर से आर्टिकल 370 को हटाने के बाद कम्यूनिकेशन पर बैन और अन्य बंदिशों के कारण सेब के निर्यात में इस वर्ष लगभग 1.35 लाख टन की कमी आई है।
केंद्र सरकार ने कहा है कि जम्मू और कश्मीर के 99 प्रतिशत क्षेत्रों में आवाजाही पर प्रतिबंध नहीं है और मोबाइल सर्विसेज भी 71 दिनों बाद 14 अक्टूबर से दोबारा शुरू की जा रही हैं। अधिकारियों ने कहा कि इससे फसल की कटाई और निर्यात में मदद मिलेगी।
सेब के दाम गुणवत्ता के अलावा आवक और ग्राहकी पर निर्भर करते हैं। कश्मीर में मौसम संबंधी व्यवधान के कारणों सैकड़ों ट्रक जो आज आने वाले थे वे फंसे हुए हैं। इनके आते ही सेब के दाम और तेजी से गिरेंगे।
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