चावला ने सिलसिलेवार कई पोस्ट लिखे हैं। उन्हीं में से एक के बारे में यहां बताया जा रहा है। बतौर चावला… वे सात साल तक बापू के आश्रम में रहे। इस पोस्ट में चावला ने आसाराम की दीवाली के बारे में कुछ रोचक चीजें बताईं। चावला के अनुसार सभी लोग इतना जरूर जानते हैं कि आसाराम को दक्षिणा में खूब सारा सामान मिलता था। इनमें शॉल, कंबल, खाने पीने की चीजें और बहुत सी दूसरी वस्तुएं शामिल थीं। लेकिन लोगों को ये नहीं पता था कि आसाराम इस सामान का क्या करता था। आसाराम के देश विदेश के लगभग 400 आश्रमों में हर दिवाली दुकानें सजाई जाती थीं। इन दुकानों में भक्तों द्वारा दिए गए सामान को भक्तों को ही बेच दिया जाता था। इन दुकानों पर भेंट किए गए सारे सामान सजा दिए जाते और समर्थक वही खरीद भी ले जाते। चावला ने बताया कि, जब मै वहां पर था तब तो ये धंधा होता था, अब क्योंकि मैंने ये ब्लॉग लिख दिया है तो पता नहीं अब दिवाली पर दुकानें सजें ना सजें।
लोग नारियल दे जाते, उसकी मिठाई बना कर बेच दी जाती
चावला ने ये भी लिखा है कि लोग आसाराम को श्रद्धा से नारियल भेंट कर जाते थे, लेकिन वो उसकी मिठाई बनाकर बेच दिया करता था। सोचने वाली बात तो ये है कि एक तरफ तो आसाराम लोगों को मिठाई न खाने की सलाह देता था और दूसरी तरफ अपने ही आश्रम में मिठाई बेचता भी था। लोग अपनी अटूट श्रद्धा से जो सामान उसे दे जाते, उससे आसाराम ने करोड़ों रुपए बना लिए।
लड़कों को नहीं दी जाती मिटाई
महेंद्र ने ब्लॉग में लिखा है कि आसाराम के आश्रम में लड़कों को मिठाई नहीं दी जाती थी। उन्होंने ये भी बताया कि सर्दी में वहां रहने वाले लड़कों के पास स्वेटर नहीं होता था और इस बात का सर्वे करने की भी बात लिखी है। चावला ने बताया कि आसाराम के पास स्वेटर व शॉल की कोई कमी नहीं थी, लेकिन लड़कों को गरम कपड़े बमुश्किल ही नसीब होते। सर्दी के कारण पैर फट जाते लेकिन पैरों को जूते नहीं मिलते।
अबर किसी को जूते पहनने होते, तो वो अपने घर से मंगवाता था।
(नोट: खबर आसाराम के भूतपूर्व समर्थक महेंद्र चावला की पोस्ट के आधार पर लिखी गई है। पत्रिका डॉट कॉम इसकी सत्यता की पुष्टि नहीं करता है।)