हाथोंहाथ गर्म भोजन हो रहा है वितरित
तीनों अधिकारियों ने रिपोर्ट में कहा है कि अम्मा रसोई में वैन सिस्टम की बजाय स्थाई जगह पर नाश्ता व भोजन दिया जा रहा है। यही नहीं स्थायी कैंटीन में हाथोंहाथ पका हुआ गरम व ताजा खाना लोगों को वितरित किया जाता है, ताकि निर्धारत संख्या के बजाए मांग के अनुसार भोजना व नाश्ता बनाया जा सके। इस मॉडल में स्वयंसेवी सहायता समूहों की स्थानीय महिलाओं को खाना बनाने की जिम्मेदारी देते हुए रोजगार दिया जा रहा है।
स्थायी कैन्टीन के माध्यम से भोजन व नाश्ते के वितरण से अधिक संख्या में लोग पहुंचते हैं। लोग तेज गर्मी, धूप और बारिश से बचते हुए आसानी से खाना खाते हैं। इस मॉडल में जितना खाना बनाया गया है, उसमें से कितना खाना वितरित किया गया है। यह पता करना आसान है। पकाए गए खाने के बजाए वितरित किए गए खाने के आधार पर भुगतान किया जा रहा है। अधिकारियों ने इस योजना के आधार पर बदलाव की सिफारिश की है।
पूर्ववर्ती भाजपा सरकार में सभी 191 शहरों में अन्नपूर्णा रसोई योजना शुरू की गई थी। इस योजना के तहत इन शहरों में रसोई वैन्स के माध्यम से 495 सार्वजनिक स्थानों पर लोगों को सुबह का नाश्ता पांच रुपए में और दोनों समय का भोजना महज आठ रुपए में उपलब्ध कराया जा रहा है। लेकिन वास्तविक लागत इस कीमत से अधिक आने के चलते संबंधित फर्म को राज्य सरकार की ओर से भरपाई की जा रही है। ऐसे में इस योजना पर सरकार की ओर से हर वर्ष 240 करोड़ रुपए खर्च किए जा रहे हैं।