सीएम गहलोत ने कहा कि एक तरफ गृहमंत्री अमित शाह कहते हैं कि एनआरसी को लेकर चर्चा जारी है और यह पूरे देश में लागू होगी, जबकि दूसरी तरफ प्रधानमंत्री मोदी कहते हैं कि एनआरसी की अभी किसी स्तर पर कोई चर्चा नहीं हुई। सीएम ने कहा कि इससे बड़ा मजाक और क्या हो सकता है, उन्होंने कहा कि असम में भी एनआरसी के नाम पर 19 लाख लोग बाहर हो गए हैं, जिनमें से 16 लाख हिंदू हैं और वह भी सब गरीब हिंदू।
सीएम गहलोत ने कहा कि क्या केंद्र बताएगा कि कोई एक भी अमीर आदमी इस लिस्ट में आया है। गहलोत ने कहा कि आज असम की जनता अवसाद में है, क्या केंद्र सरकार चाहती है कि पूरा देश अवसाद में रहे। इसी को लेकर लोग सड़कों पर आए हैं क्योंकि लोग जानते हैं कि इसके पीछे क्या एजेंडा है।
एनआरसी को बताया संघ का एजेंडा
सीएम गहलोत ने एनआरसी को आरएसएस का एजेंडा बताते हुए कहा कि देश कभी भी इसे स्वीकार नहीं करेगा क्योंकि संघ का मूल एजेंडा हिंदू राष्ट्र बनाने का है। आज देश के प्रधानमंत्री संघ के प्रचारक हैं। भाजपा तो सिर्फ एक मुखौटा है। दिशा-निर्देश तो आरएसएस देता है। आरएसएस ही तय करता है कि मंत्री, मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति कौन होगा। केंद्र सरकार का रिमोट कंट्रोल भी नागपुर के पास है। गहलोत ने संघ पर निशाना साधते हुए कहा कि अगर संघ को राजनीति ही करनी है तो राजनीतिक दल बनाकर चुनाव मैदान में आए।
प्रदेश में शराब बंदी नहीं करना राज्य सरकार की मजबूरी: अशोक गहलोत
इससे पहले राजधानी जयपुर के रविंद्र मंच पर शुक्रवार को आयोजित भारतीय महिला फेडरेशन के राष्ट्रीय सम्मेलन में सीएम गहलोत ने कहा कि प्रदेश में लगातार शराब बंदी की मांग उठ रही है, लेकिन शराब बंदी नहीं करना राज्य सरकार की मजबूरी है। उन्होंने कहा कि इससे अवैध शराब की बिक्री बढ़ जाती है।
सीएम गहलोत ने गुजरात का उदाहरण देते हुए कहा कि गुजरात में शराब बंदी की गई,लेकिन चोरी-छिपे वहां अधिकांश घरों में शराब का सेवन हो रहा है। यही नहीं शराब बंदी के बाद नकली शराब भी इतना बढ़ जाती है, जिससे लोगों को ज्यादा नुकसान होता है।