जयपुर

राजस्थान नहीं छोड़ेंगे गहलोत, दिल्ली दरबार को बताएंगे कांग्रेस को मजबूत करने का फार्मूला

सचिन पायलट केरल में राहुल गांधी से मिले तो उनके समर्थकों का हौंसला सांतवें आसमान पर पहुंच गया। ऐसे में गहलोत का भावुक होना भी लाजमी है। ट्विटर पर गहलोत ने पार्टी के प्रति अपनी वफादारी निभाने की औपचारिकता को पूरा किया। लेकिन सवाल ये है कि क्या गहलोत का दिल्ली जाना तय है?

जयपुरSep 21, 2022 / 07:17 pm

Santosh Tiwari

सचिन पायलट केरल में राहुल गांधी से मिले तो उनके समर्थकों का हौंसला सांतवें आसमान पर पहुंच गया। ऐसे में गहलोत का भावुक होना भी लाजमी है। ट्विटर पर गहलोत ने पार्टी के प्रति अपनी वफादारी निभाने की औपचारिकता को पूरा किया। लेकिन सवाल ये है कि क्या गहलोत का दिल्ली जाना तय है?
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सियासत में कुछ भी संभव है। पार्टी भले ही हाशिए पर हो, लेकिन कद और पद की लालसा और नेताओं की प्रतिस्पर्धा में कोई कमी नहीं होती है, ऐसा ही कुछ हाल है कांग्रेस पार्टी और उनके नेताओं का। राहुल से पायलट की मुलाकात क्या हुई राजस्थान की राजनीति में चर्चाओं का बाजार गरम हो गया। मुख्यमंत्री नें ट्ववीट कर पार्टी आलाकमान को भरोसा दिलाया की वो पार्टी हित में साथ खड़े है चाहे फैसला कुछ भी हो।
राजस्थान सीएम पद के लिए जोर आजमाइश

पायलट और गहलोत की सीएम पद की लड़ाई अब पुरानी हो चुकी है लेकिन इसमें नया पेंज अब दिल्ली से फंसा है। कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए गहलोत के नामांकन दाखिल करने की खबर के साथ ही राजस्थान में सचिन पायलट की सीएम कुर्सी पर ताजपोशी की बात कार्यकर्ताओं पर हावी है। राजस्थान कांग्रेस में गहलोत की भूमिका 2023 चुनावों क्या होगी , सभी इस पर मंथन कर रहे है क्योंकि गहलोत खुद देश में कांग्रेस को मजबूत करने की बात कह चुके है। संकेत को समझे तो साफ है गहलोत दिल्ली कूच का मन बना चुके है।

 

 

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फेल हुआ गहलोत का जादू, पायलट ने बिगाड़ा खेल

पायलट के समर्थक उन्हें मुख्यमंत्री के तौर पर देखना चाहते हैं और कई विधायक खुल कर ये बात कह भी चुके है कि दिल्ली को गहलोत की जरुरत है। लेकिन खुद गहलोत विधायक दल की बैठक में बोल चुके हैं कि पार्टी का फैसला उनके लिए सर्वोपरी है और जो भी जिम्मेदारी पार्टी देगी वो उसे मानेंगे , लेकिन साथ ही उन्होनें अपनी मंशा भी साफ जाहिर की है ,वो राजस्थान से दूर कभी भी नहीं रहेंगे.

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गहलोत का राहुल पर भरोसा

गहलोत की गांधी परिवार के प्रति वफादारी जगजाहिर है। पार्टी उन भरोसा भी करती है इसलिए उन्हें दिल्ली बुलाए जाने के संकेत भी मिल रहे है। गहलोत ने कहा है अगर उन्हें नामांकन के लिए कहा जाएगा तो वे पीछे नहीं हटेंगें. लेकिन एक बार खुद जाकर राहुल गांधी से अध्यक्ष बनने का आग्रह करेंगे. उनका मानना है कि राहुल अध्यक्ष बनकर भारत जोड़ो यात्रा निकालेंगे तो उसका दोगुना प्रभाव होगा.

गहलोत के बिना पायलट की राह आसान नहीं

राजनीतिक पंडित मान रहे है कि सीएम की कुर्सी पायलट को भले ही मिल जाए लेकिन उनकी चुनौतियां कम नहीं होगी, गहलोत के अनुभव का सहारा नहीं मिला तो पार्टी 2023 में पीछे रह जाएगी। ये बात दिल्ली कांग्रेस से भी छिपी नहीं है, तो बड़ा सवाल ये खड़ा होता है कि राजस्थान को 2023 विधानसभा चुनाव में दांव पर लगाकर क्या दिल्ली कांग्रेस गहलोत को ‘रबर स्टांप’ अध्यक्ष बनाने का जोखिम उठाएगी।

 

 

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