खींवसर से कांग्रेस के प्रत्याशी हरेन्द्र मिर्धा और रालोपा के नारायण बेनीवाल चुनाव मैदान में है और दोनों के बीच कांटे का मुकाबला माना जा रहा है। 1998 में नागौर से विधायक बने थे और गहलोत सरकार में सार्वजनिक निर्माण मंत्री रहे थे। इसके बाद वे आज तक कोई चुनाव नहीं जीते।
ये चुनाव मिर्धा परिवार के लिए बड़ी चुनौती है। वहीं रालोपा के नारायण राम बेनीवाल नागौर से रालोपा के सांसद हनुमान बेनीवाल के छोटे भाई है। हनुमान इस खींवसर सीट से लगातार तीन बार विधायक रह चुके है। पहला चुनाव वे भाजपा के बैनर पर लडे थे।
इसके बाद भाजपा से मोह भंग हुआ तो 2013 में निर्दलीय चुने गए और 2018 में उन्होने रालोपा बनाई और लगातार तीसरी बार विधायक बने। सांसद बन जाने के बाद उन्होंने इस सीट से इस्तीफा दे दिया था। भाजपा ने खींवसर में बेनीवाल के प्रभाव को देखते हुए अपना उम्मीदवार नहीं उतारा और रालोपा को समर्थन दे दिया था। हनुमान बेनीवाल अपने भाई को जिताने के लिए जोरदार प्रचार कर रहें है।
मंडावा सीट पर भी कांग्रेस और भाजपा के बीच रोचक मुकाबला माना जा रहा है। कांग्रेस से पूर्व विधायक रीटा चौधरी और भाजपा से सुशीला सींगड़ा मैदान में है। रीटा चौधरी 2008 में विधायक चुनी गई थी। 2013 में उनका टिकट काटकर कांग्रेस के तत्कालीन प्रदेशाध्यक्ष चन्द्रभान को दिया गया था लेकिन चन्द्रभान की जमानत जब्त हो गई थी। 2018 में कांग्रेस ने पुन: रीटा चौधरी को टिकट दिया लेकिन वे करीब दो हजार वोटों से भाजपा के नरेन्द्र खींचड़ से मात खा गई थी। भाजपा की प्रत्याशी सुशीला सींगड़ा पहले कांग्रेस में रह चुकी है। दोनों महिलाओं ने इस सीट की लड़ाई को टक्कर का बनाया हुआ है।