कहा जा रहा है कि इन सीटों पर होने वाले उपचुनावों में एक बार फिर परिवारवाद का बोलबाला रहने की संभावना है, चर्चा है कि सुजानगढ़ कांग्रेस दिवंगत मास्टर भंवर लाल मेघवाल की पत्नी या पुत्र को चुनाव मैदान में उतार कर मतदाताओं की सहानुभूति बंटोर सकती है तो वहीं सहाड़ा में दिवंगत कैलाश त्रिवेदी के तीन पुत्रों में से किसी एक को पार्टी का उम्मीदवार बना सकती है। वहीं राजसमंद में किसी अनुभवी चेहरे पर दांव खेल सकती है। चर्चा ये भी है कि तीनों सीटों पर परिवार वाद के अतिरिक्त नए और जिताऊ चेहरों की भी तलाश की जा रही है।
इधर तीन विधानसभा सीटों पर चार-चार नेताओं को प्रभारी बनाया गया है। कहा जा रहा है कि जल्द ही प्रभारी अपने-अपने क्षेत्रों में जाकर संभावित दावेदारों को लेकर रायशुमारी करेंगे। साथ ही स्थानीय नेताओं और कार्यकर्ताओं की बैठक लेकर अभी से चुनावी तैयारियों में जुटने का आह्वान करेंगे। बताया जाता है कि इस दौरान प्रभारी स्थानीय नेताओं की चुनाव ड्यूटी भी लगाएंगे कि किसको क्या काम करना है।
दरअसल तीन विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव सरकार और सत्तारूढ़ कांग्रेस के लिए प्रतिष्ठा का सवाल है। चूंकि तीन में से दो सीटें सुजानगढ़ और सहराड़ा पर कांग्रेस का कब्जा था। ऐसे में इन सीटों पर कब्जा बरकरार रखना कांग्रेस के लिए किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है, यही वजह है कि इन सीटों पर कब्जा बरकरार रखने के लिए कांग्रेस ने चार माह पहले से ही चुनावी तैयारियां शुरू कर दी है।
दऱअसल सुजानगढ़ से कांग्रेस विधायक और कैबिनेट मंत्री मास्टर भंवर लाल मेघवाल, सहाड़ा से कांग्रेस विधायक कैलाश त्रिवेदी और राजसमंद से भाजपा विधायक किरण माहेश्वरी का निधन होने से इन सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं। इनमें कैलाश त्रिवेदी और किरण माहेश्वरी का कोरोना के चलते निधन हुआ तो मास्टर भंवर लाल मेघवाल लंबे समय से गुड़गांव के मेदांता अस्पताल में एडमिट थे, जहां लंबी बीमारी के बाद उनका निधन हो गया।
1-सुजानगढ़- मंत्री भंवर सिंह भाटी, मंगलाराम गोदारा, डूंगरराम गेदर और नोरंग वर्मा। 2-सहाड़ा- मंत्री रघु शर्मा, पूर्व मंत्री हरिमोहन शर्मा, धर्मेंद्र सिंह राठौड़ और राम सिंह कस्वा। 3-राजसमंद- मंत्री उदयाल आंजना, पुष्पेंद्र भारद्वाज, आशीष परेवा और मुकेश वर्मा