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जन्म से पहले पैदा हो रहे बच्चे,ग्लोबल वार्मिग का वन्यजीवों पर असर

ग्लोबल वार्मिग का वन्यजीवों पर असरजन्म से पहले पैदा हो रहे बच्चेजानवरों का आकार हो रहा है छोटाऑस्ट्रेलियन यूनिवर्सिटी और यूनिवर्सिटी ऑफ कैपटाउन में हुई रिसर्च

जयपुरNov 10, 2019 / 04:31 pm

Rakhi Hajela

ग्लोबल वार्मिग ( global warming ) के कारण शोधकर्ता (Researchers ) अक्सर गर्मी बढऩे, समुद्र के जल स्तर में वृद्धि जैसी चेतावनी देते रहते हैं। अब एक नए अध्ययन में शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि इसका असर अब जानवरों पर भी पडऩे लगा है। जंगली जानवर अब समय से पहले अपने बच्चों को जन्म देने लगे हैं। साथ ही उनका आकार भी छोटा हो रहा है।
आनुवांशिक परिवर्तनों से गुजर रहे हैं स्‍कॉटलैंड के लाल हिरण
वन्य जीवों पर ग्लोबल वॉर्मिग के प्रभावों के अध्ययन से जुड़ी एक रिसर्च में कहा गया है कि हाल के वर्षों में स्कॉटलैंड के आइल ऑफ रम में मौजूद लाल हिरणों की आबादी आनुवांशिक परिवर्तनों से गुजर रही है, जिसके कारण इनके बच्चों के जन्म के समय में भी बदलाव आया है। इससे पहले हुए अध्ययनों में बताया गया था कि ग्लोबल वार्मिग के कारण 1980 के बाद से ही हिरण अपने बच्चों को समय से पूर्व ही जन्म दे रहे हैं।
जलवायु के अनुसार खुद को ढाल रहे जानवर
हाल में हुई रिसर्च में शोधकर्ताओं ने यह पता लगाया है कि हिरण जिस आनुवांशिक परिवर्तन के दौर से गुजर रहे हैं, वह डार्विन के प्राकृतिक चयन के सिद्धांत के कारण होता है। यह सिद्धांत कहता है कि जैसी जलवायु होती है, जीव जंतु भी ठीक उसी प्रकार खुद को ढाल लेते हैं। पीएलओएस बायोलॉजी नामक जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में बताया गया है कि कैसे पिछले कुछ दशकों में ही इन जीवों का विकास इतनी तेजी से हो रहा है।
जीन के बीच होता है जुड़ाव
अध्ययन में कहा गया है कि दरअसल, यह आंशिक रूप से जीन के बीच एक जुड़ाव के कारण होता है जो हिरण के बच्चों को समय से पहले जन्म देता है। इसके कारण उनके प्रजनन की क्षमता भी प्रभावित होती है, जो समय के साथ साथ हिरणों को जलवायु के अनुकूल बनाने में मदद करती हैं। शोधकर्ताओं ने कहा यह अध्ययन जलवायु परितर्वन के कारण वन्य जीवों पर पडऩे वाले प्रभावों के बारे में तो बताता ही है, साथ ही यह जलवायु संकट का एक ताजा उदाहरण भी है।
जानवरों का शरीर हो रहा छोटा

जलवायु परिवर्तन से लगातार जानवरों के शरीर का आकार छोटा हो रहा है। शोधकर्ताओं द्वारा 1976 से 1999 के बीच 23 सालों की अवधि तक जुटाए गए सुबूतों के आधार पर यह दावा किया गया है। यूनिवर्सिटी ऑफ केपटाउन के शोधकर्ताओं ने दक्षिण अफ्रीका के वेस्टविले में पामिएट नदी के पास पाई जाने वाली माउंटेन वैजेट नामक पक्षी के आकार पर अध्ययन किया। जलवायु परिवर्तन का पृथ्वी और उसके पारिस्थितिकी तंत्र पर गहरा प्रभाव पड़ा है और पिछले 100 सालों में वैश्विक तापमान करीब एक डिग्री सेल्सियस बढ़ा है। जीवाश्म रिकॉर्ड से पता चलता है कि जलवायु परिवर्तन से पिछले वर्षो में समुद्र और भूमि आधारित दोनों प्रकार के जानवर छोटे हुए हैं।
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