वन्य जीवों पर ग्लोबल वॉर्मिग के प्रभावों के अध्ययन से जुड़ी एक रिसर्च में कहा गया है कि हाल के वर्षों में स्कॉटलैंड के आइल ऑफ रम में मौजूद लाल हिरणों की आबादी आनुवांशिक परिवर्तनों से गुजर रही है, जिसके कारण इनके बच्चों के जन्म के समय में भी बदलाव आया है। इससे पहले हुए अध्ययनों में बताया गया था कि ग्लोबल वार्मिग के कारण 1980 के बाद से ही हिरण अपने बच्चों को समय से पूर्व ही जन्म दे रहे हैं।
हाल में हुई रिसर्च में शोधकर्ताओं ने यह पता लगाया है कि हिरण जिस आनुवांशिक परिवर्तन के दौर से गुजर रहे हैं, वह डार्विन के प्राकृतिक चयन के सिद्धांत के कारण होता है। यह सिद्धांत कहता है कि जैसी जलवायु होती है, जीव जंतु भी ठीक उसी प्रकार खुद को ढाल लेते हैं। पीएलओएस बायोलॉजी नामक जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में बताया गया है कि कैसे पिछले कुछ दशकों में ही इन जीवों का विकास इतनी तेजी से हो रहा है।
जीन के बीच होता है जुड़ाव
अध्ययन में कहा गया है कि दरअसल, यह आंशिक रूप से जीन के बीच एक जुड़ाव के कारण होता है जो हिरण के बच्चों को समय से पहले जन्म देता है। इसके कारण उनके प्रजनन की क्षमता भी प्रभावित होती है, जो समय के साथ साथ हिरणों को जलवायु के अनुकूल बनाने में मदद करती हैं। शोधकर्ताओं ने कहा यह अध्ययन जलवायु परितर्वन के कारण वन्य जीवों पर पडऩे वाले प्रभावों के बारे में तो बताता ही है, साथ ही यह जलवायु संकट का एक ताजा उदाहरण भी है।