-नेटवर्क के चलते पकडऩा मुश्किल बजरी माफियाओं का नेटवर्क ऐसा कि उन्होंने बजरी के दोहन के लिए नदी-नालों में एक्सक्वेटर मशीनें व बड़ी-बड़ी छलनियां लगा रखी है। वे थोड़ी देर में ही वाहन लोड कर देते हैं। लोडिंग के समय कुछ दूरी पर अपनी टीमों को खड़ा रखते हैं। किसी के आने पर वे वॉट्सएप गु्रपों में मैसेज वायरल कर देते हैं। जिम्मेदार के पहुंचने से पहले ही सब गायब हो जाते हैं। परिवहन व भंडारण में भी इनका यहीं नेटवर्क काम आता है। धरपकड़ होने पर पूरी एसोसिएशन जोर लगाती है। इस नेटवर्क, मिलीभगत के चलते कार्रवाई सही नहीं हो पाती।
-मिलीभगत का भी खेल… खान, पुलिस व परिवहन विभाग की दिखावे की कार्रवाई के चलते प्रदेश में बजरी व खनन माफियाओं की मनमानी हो चली है। चोरी-छिपे रात में अवैध खनन, परिवहन व भंडारण कर राजस्व चपत के साथ ही आमजन को भी लूट रहे हैं। विभागीय स्तर पर भारी भरकम जुर्माने की कार्रवाई के बाद भी अवैध रूप से बजरी खनन निकालने का क्रम जारी है। पहाड़ों के छलनी होने, बिना नंबर बजरी से वाहन सड़कों पर दौडऩे व मिलीभगत को लेकर जिम्मेदार मौन है।
-कोर्ट की रोक…फिर भी अधिकतर जिलों में दोहन जारी कोर्ट ने प्रदेश में 16 नवंबर, 2017 को बजरी खनन पर रोक लगाई थी। उसके बाद भी बजरी माफियाओं को प्रदेश के अधिकतर जिलों में दोहन जारी है। इस रोक से रात्रि गश्त ड्यूटी में बंदियां कर ली तो कुछ ने मिलीभगत से अवैध भंडारण किए। धरपकड़ के दौरान बजरी के दामों में बढ़ोतरी कर आमजन को लूटा। सरकार की ओर से भारी भरकम पेनल्टी का भी इन पर कोई असर नहीं पड़ा।