इस बीच यह भी ध्यान रखना जरूरी है कि शादी के लगभग हर सीजन में लगभग चार से पांच ऐसे गिरोह का भंडाफोड़ होता है जो कई शादियों में अपने हाथ की सफाई दिखा चुका होता है। पुलिस इन्हें ‘बैंड बाजा बारात गैंग’ कहती है। पुलिस ने इनसे सावधान रहने की अपील की है।
पुलिस के अनुसार इन गिरोहों के सरगना गांवों में 9 से 15 साल के बच्चों के माता-पिता को फुसलाते हैं और उन्हें किश्तों में पैसे देते हैं। बदले में, बच्चे को शादियों में चोरी के लिए ‘किराए’ पर लिया जाता है। मैरिज हॉल या शादी की भव्यता के आधार पर, गिरोह के सदस्य किसी भी संदेह से बचने के लिए स्थानीय बाजारों और मॉल से नए कपड़े खरीदते हैं और महंगी घड़ियां और गहने पहन कर आते हैं। इनमें से कई इतने शातिर होते हैं कि सीसीटीवी या शादी के फोटोग्राफरों और वीडियोग्राफरों द्वारा कैद किए गए फुटेज से बचकर रहते हैं। ऐसे में बाद में भी उनका सुराग हासिल करना मुश्किल हो जाता है।