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जयपुर

बीएड कर रहे छात्रों के लिए खास खबर…. नहीं तो काटने पड़ेंगे चक्कर

– बीएड इन्टर्नशिप का मामला- दूसरे जिलों से भी छात्र चक्कर काटने पर मजबूर

जयपुरJan 10, 2018 / 11:45 pm

Jaya Gupta


जयपुर। ‘घर में दो साल का बेटा है, परिवार की जिम्मेदारी है, ऐसे में बीएड की इन्टर्नशिप के लिए रोजाना १२५ किमी दूर कैसे जाएं?’ बीएड की इन्टर्नशिप को लेकर कुछ ऐसी ही परेशानी से विद्यार्थी रोजाना दो-चार हो रहे हैं। शिक्षा विभाग ने बीएड के विद्यार्थियों को इन्टर्नशिप के लिए दूसरे जिलों में स्कूल आंवटित कर दिए गए। दरअसल, राज्य सरकार ने बीएड के छात्रों से इन्टर्नशिप के लिए ऑनलाइन विकल्प लिए गए। कई कॉलेजों ने छात्रों से केवल जिले व तहसील ही मांगे, जबकि स्कूल के नाम अपने हिसाब से भर दिए। इसका खामियाजा छात्रों को भुगतना पड़ रहा है। कई छात्रों को इंटर्नशिप का स्कूल सौ-सवा सौ किमी दूर आंवटित किया गया। वही कई छात्रों को चयन सूची में से आठवां-दसवां विकल्प का स्कूल दे दिया। अब छात्र स्कूल बदलवाने के लिए शिक्षा संकुल के चक्कर काट रहे हैं। मगर ऑनलाइन पोर्टल बंद होने के कारण स्कूल बदले नहीं जा रहे।
अजमेर , टोंक, दौसा से भी जयपुर आ रहे छात्र
जयपुर ही नहीं अजमेर, टोंक, दौसा सहित कई अन्य जिलों से भी छात्र जयपुर आ रहे हैं। छात्रों ने बताया कि वहां जिला शिक्षा अधिकारी ही जयपुर भेज रहे हैं।
यूं परेशान हो रहे छात्र
केस 1 – मेरा घर हिंगोनिया में है और इन्टर्नशिप के लिए स्कूल खाचरियावास में आया है। जब इन्टर्नशिप के लिए पोर्टल पर स्कूलों का विकल्प भरने लगे तो पास के कोई स्कूल दिख ही नहीं रहे थे। घर में दो साल का बेटा है। परिवार की जिम्मेदारी भी है। ऐसे में रोजाना इतनी दूर नहीं जा सकती।
– रिंकू वालिया, हिंगोनिया, जयपुर
– मैं अजमेर से बीएड कर रही हूं। मुझे अपने घर से सौ किमी दूर स्कूल आवंटित किया गया है। अजमेर जिला शिक्षा अधिकारी ने कहा कि जयपुर से ही स्कूल बदल सकेगा। इसलिए अब जयपुर में चक्कर काट रहे हैं।
– रेखा कुमारी दोबी, तहसील टोडारायसिंह, टोंक जिला
– मुझे सूची में दसवें नंबर का विद्यालय दे दिया गया। यह स्कूल मेरे घर से करीब ८० किमी दूर है। अब स्कूल परिवर्तन के लिए मना कर रहे हैं।
– राजकुमार मीणा, जयपुर
– कॉलेज ने केवल जिले के नाम मांगा। स्कूल का नाम मनमर्जी से भर दिया। स्कूल इतना दूर आया है कि वहां जाने के लिए तीन बसें बदलनी पड़ेगी।
– चित्रा सैनी, टोंक

– सरकार को छात्रों की परिवेदना लेकर ऑनलाइन पोर्टल में संशोधन का विकल्प चालू करना चाहिए। ताकि छात्र-छात्राओं की परेशानी दूर हो सके।
– विपिन प्रकाश शर्मा, प्रदेश वरिष्ठ उपाध्यक्ष, राजस्थान प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षा संघ

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