सजल ने बताया कि वे पहले भी कटक से करीब इतनी ही दूरी का सफर तय कर चुके है। सजल सेठ ने मणिपाल विश्वविद्यालय जयपुर में पहुंचकर विश्वविद्यालय के चेयरपर्सन प्रो. के. राम नारायण, प्रेसिडेंट, प्रो. जी. के. प्रभु, रजिस्ट्रार, प्रो. वंदना सुहाग से मुलाकात कर अपने मिशन के बारे में जानकारी दी बताया। इस अवसर पर सजल सेठ को बधाई दी और इस मिशन को आगे भी इसी प्रकार से जारी रखने के लिए कहा।
1800 किलोमीटर के पीछे उद्देश्य है बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओं का सजल सेठ ने बताया कि अपनी बेटी से मोटर साईकिल से सफर तय कर मिलने के पीछे बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओं का संदेश लोगों को देना है।
गर्म हवाओं के थपेडों, न आंधी व तूफान की परवाह, न ही रात के अंधेरे में किसी भी प्रकार की अनहोनी होने की आंशका का डर सजल सेठ के मजबूत इरादों को नहीं हिला सका। उन्होंने बताया कि रास्ते में कई बार ऐसी मुसीबतों का सामना करना पड़ता है जिसका पहले से अंदाजा लगाना मुश्क़िल है।
पहले से ही किया था ट्रेवल प्लान सजल ने कटक से जयपुर के सफर के लिए पहले ही ट्रेवलिंग प्लान तैयार कर लिया था। साथ ही अपने शरीर को भी बचाने के लिए विशेष प्रकार की बाईक राईडिंग ड्रेस भी तैयार की थी। जिसे मोटर साइकिल चालाते समय सजल पहनते है। यह ड्रेस इन्हें खराब मौसम से तो बचाती ही है इसके साथ ही रास्ते में यदि कोई दुर्घटना हो जाए तो उससे शरीर की सुरक्षा भी करती है। कटक से जयपुर आते समय आप ने कई रोचक एवं खट्टे मीठे अनुभवों को साझा किया। साथ ही बताया कि जब भी कोई परेशानी का सामना करते तो अपनी बेटी को याद कर लेते तो परेशानी का अहसास भी नहीं होता साथ ही सफर की थकान भी कुछ क्षणों में ही दूर हो जाती ।
सजल की बेटी ने कहा ये सजल की बेटी नेहा जयपुर की मणिपाल विश्वविद्यालय जयपुर में बीटेक, कम्यूटर एंड कम्यूनिकेषन इंजिनियरिंग-सीएमसीई में पढ़ाई करती है। नेहा ने बताया कि पापा के मोटर साईकिल से कटक से जयपुर तक का सफर तय कर मुझसे मिलने आना मन में उत्साह तो पैदा करता ही है साथ ही थोड़ा सा भय भी रहता है। लेकिन पापा के इस जज्बे को मैं सेल्यूट करती हूं और सभी को मेरे पापा जैसे पापा मिले जो कि अपनी बेटी से इतना प्यार करते है। साथ ही पापा के बेटी बचाओं बेटी पढ़ाओं के सामाजिक सरोकार के कार्य जैसा कार्य सभी बेटियों के पापा करें ऐसी मेरी इच्छा है।
पहले भी बाइक से कर चुके हैं इतनी दूरी की ही यात्रा सजल सेठ ने बताया कि उनकी पत्नी बीना सेठ ने कभी भी उन्हें मोटरसाईकिल से यात्रा करते समय नहीं रोका एवं सदैव प्रोत्साहित ही किया है। सजल सेठ ने बताया की पूर्व में जब उनकी बड़ी बेटी ईशा फिजियोथेरेपी से ग्रेजुऐशन का कोर्स कर रही थी। तब भी वे मोटरसाईकिल से ही उससे मिलने गए थे और उनका उनका उद्देश्य बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओं ही था।