हालांकि पदभार ग्रहण के दौरान बीजेपी कार्यालय और आसपास के क्षेत्रों में लगे होर्डिंग्स- बैनर में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की फोटो लगाकर जरूर राजे गुट के नेताओं के साथ तालमेल के संकेत दिए हो लेकिन पार्टी के अंदर और भी कई धड़े बने हुए हैं, जिन्हें साधना आसान काम नहीं होगा।
हालांकि पार्टी के कई नेताओं का मानना है कि सीपी जोशी युवा हैं पार्टी के युवा नेताओं में भी उनकी अच्छी पकड़ है क्योंकि वह खुद भी भारतीय जनता युवा मोर्चा के अध्यक्ष रह चुके हैं इसलिए उन्हें संगठन चलाने का भी अनुभव है।
पूनिया भी सभी धड़ों से तालमेल बैठाने में नहीं हुए थे सफल
वहीं पूर्व अध्यक्ष सतीश पूनिया भी अपने पूरे कार्यकाल के दौरान पार्टी के अन्य धड़ों के नेताओं के साथ सामंजस्य बैठाने में सफल नहीं हो पाए थे पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे गुट और सतीश पूनिया गुट के नेताओं के बीच लंबी अदावत रही थी। कई बार बयानबाजी भी हुई जिसके चलते हाईकमान को भी हस्तक्षेप करना पड़ा था।
मिल पाएगा बड़े नेताओं का सहयोग
वहीं सियासी गलियारों में चर्चा यह भी है कि भाजपा के नए अध्यक्ष सीपी जोशी को क्या पार्टी के बड़े नेताओं का सहयोग मिल पाएगा या नहीं? बताया जा रहा है वरिष्ठ नेताओं पर वरीयता देते हुए पार्टी हाईकमान ने सीपी जोशी को अध्यक्ष की कमान सौंपी है। इसी के चलते अंदर खाने पार्टी के ही बड़े नेताओं में इसे लेकर नाराजगी है। ऐसे में सीपी जोशी के सामने चुनौती यही रहेगी कि वे पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को अपने साथ ले पाते हैं या नहीं।
सीपी जोशी के सामने एक चुनौती यह भी है कि प्रदेश में 9 महीने के बाद विधानसभा चुनाव होने हैं और उनके नेतृत्व में पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं को लंबा संघर्ष करना है और जनता के बीच सीपी जोशी कितनी पैठ बनाने में सफल होते हैं इस पर सबकी नजर रहने वाली है।
गौरतलब है कि पार्टी हाईकमान ने चित्तौड़गढ़ से दूसरी बार लोकसभा के सांसद चुने गए सीपी जोशी को प्रदेश भाजपा का नया अध्यक्ष नियुक्त किया था। सीपी जोशी पूर्व में भारतीय जनता युवा मोर्चा के अध्यक्ष रहे हैं। उनकी नियुक्ति को ब्राह्मण वर्ग को साधने की कवायद के तौर पर भी देखा जा रहा है। पूर्व अध्यक्ष सतीश पूनिया को पहले एक्सटेंशन देने की बात कही जा रही थी लेकिन बाद में उन्हें हटाकर सीपी जोशी को कमान सौंपी गई।
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