फिलहाल मानसून 4 जून को केरल में प्रवेश कर रहा है। इसके बाद इसकी गति और रूख पर काफी कुछ निर्भर करेगा कि कब यह राजस्थान में पहुंचता है। राजस्थान में बारिश की अगर बात करें तो फिलहाल मार्च, अप्रैल के बाद अब मई में भी बारिश मिली है। जून की बारिश से काफी फायदा हो जाएगा।फसलों के लिए यह बारिश अमृत की तरह होती है। इससे कृषि कार्य को बेहतर तरीके से किया जा सकता है।
आज से फिर आंधी-बारिश और ओलावृष्टि, इन जिलों में अगले 48 घंटे तक अलर्ट
पिछले दस सालों में हुई बारिश का विवरणसाल | वास्तविक बारिश | सामान्य बारिश | कम/ज्यादा |
2013 | 527.2 | 419 | +26 |
2014 | 420.4 | 419 | 0 |
2015 | 457 | 419 | +9 |
2016 | 536.4 | 419 | +28 |
2017 | 454.9 | 419 | +9 |
2018 | 393.3 | 419 | -6 |
2019 | 583.6 | 415 | +41 |
2020 | 449.8 | 415 | +8 |
2021 | 485.3 | 419 | +17 |
2022 | 595.9 | 435.6 | +37 |
415 मिलीमीटर होती है राजस्थान में औसत बरसात
भारतीय मौसम विभाग ने हाल ही में नई दिल्ली में हुई कांफ्रेस में बताया था कि मानसून सामान्य रहेगा। इस दौरान राजस्थान के मानसून सीजन में जून से सितंबर तक 415 मिलीमीटर की बारिश होने की संभावना है। 2022 में सामान्य से 37 फीसदी अधिक 595.9 बारिश हुई थी। जून में मानसून कमजोर था लेकिन जुलाई और अगस्त में इसकी भरपाई करते हुए आगे निकल गया।
ऐसे बनता है दक्षिण पश्चिमी मानसून
भारत में बारिश करने वाला मानसून हिन्द महासागर और अरब सागर की हवाओं से तैयार होता है। यह हवाएं जब दक्षिण पश्चिम तट के पश्चिमी घाट से टकराती हैं तो बारिश होती है और वर्षा ऋतु में होने वाली इस बारिश को ही मानसून कहा जाता। इसी से भारत में बारिश होती है। पूर्व से पश्चिम की तरफ निकलने वाली कर्क रेखा मानसून ही नहीं बल्कि जलवायु पर सीधा प्रभाव डालती है। मानसून से सीधे तापमान गिर जाता है और नमी बढ़ जाती है।