इस बार दूसरे चरण के मानसून में सितंबर के महीने में बांध 63 प्रतिशत तक ही भर सके जबकि बीते वर्ष सितंबर में बांधों में 71 प्रतिशत तक भर गए थे। बांधों में पानी की कम आवक से पेयजल संकट की तस्वीर अभी से सामने आने लगी है। हांलाकि जल संसाधन विभाग के इंजिनियर अभी इस पूरे महीने मानसून की अच्छी बारिश के बाद बांधों में पानी की आवक की उम्मीद लगाए बैठे हैं। हांलाकि जितनी बारिश हो रही है उसका थोडा बहुत हिस्सा बांधों तक पहुंचता भी लेकिन अतिक्रमण की दीवारों ने पानी को बांधों तक नहीं पहुंचने दिया।
अब 6 शहरों से ज्यादा शहरों में पानी का संकट
जयपुर, टोंक और अजमेर में बीसलपुर बांध से पानी की सप्लाई होती है। बांध में कुल भराव क्षमता के महज 34 प्रतिशत पानी है। प्रतापगढ के जाखम बांध की स्थिति भी ऐसी है। पिछले वर्ष बांध में सितंबर तक 142 एमक्यूएम पानी की आवक हुई। जबकि इस बार महज 88 एमक्यूएम पानी की आवक हुई। इसी तरह से पाली और सिरोही की पेयजल की जरूरतों को पूरा करने वाले जवाई बांध में बीते वर्ष 138 एमक्यूएम पानी की आवक हुई वहीं इस वर्ष महज 27 एमक्यूएम पानी की आवक हुई है। बांध में इस समय 3 प्रतिशत पानी है। ऐसे मं इस जिले में भी पेयजल संकट अभी से गहराने लगा है।
त्रिवेणी से नहीं हुई पानी की आवक
बीसलपुर बांध में दूसरे चरण के मानसनू शुरू होते ही 3 सितंबर को पहली बार पानी की आवक शुरू हुई। यह आवक कैचमैंट में बारिश के कारण हुई। लेकिन त्रिवेणी नदी का जलस्तर 3.50 मीटर से उपर नहीं गया और नदी के पानी की आवक बांध में नहीं हुई। जबकि बीते वर्ष दूसरे चरण के मानसून में त्रिवेणी से बांध में पानी की पर्याप्त आवक हुई।
बीसलपुर बांध अब भी सूखा
जयपुर का रामगढ बांध इस बार भी सूखा ही रहा। बांध में जगह जगह अतिक्रमणों की दीवार के कारण ऐसी हालत बनी। जल संसाधन विभाग ने बांध में किए गए अतिक्रमण भी चिन्हत कर लिए। लेकिन अतिक्रमणों को हटाने का मामला कागजों से बाहर नहीं निकल सका।
प्रदेश में बांधों की संख्या—727
कुल भराव क्षमता—12626.32 एमक्यूए
16 सितंबर तक कुल भराव—63.66
गत वर्ष 16 सितंबर को भराव—71.77
रिक्त बांध—243
पूर्ण भरे हुए—143
आंशिक भरे हुए—143