बता दें कि बांध गेट खोलने से पहले ही लगभग 4 घंटे पूर्व बनास नदी के पेटे से लोगों को दूर रहने के लिए बीसलपुर बांध पर चेतावनी सायरन बजाना शुरू कर दिया गया था। सायरन की आवाज बांध से करीब 5 किमी से अधिक दूरी तक बनास में सुनाई देती है। ऐसे में बनास नदी के अंदर कार्य कर रहे लोगों सहित मवेशी नदी से दूर हट सके इसके लिए सायरन बजाया गया।
वहीं, बीसलपुर के पानी को रामगढ़ में छोड़े जानें की मांग उठ रही है। डॉ जाकिर हुसैन सोशल एंड वेलफेयर सोसायटी ने मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजकर बीसलपुर बांध के अतिरिक्त पानी से रामगढ़ बांध को भरे जाने की मांग की है। सोसायटी के सचिव ने बताया कि कई सालों बाद अच्छी बारिश हुई है और बीसलपुर बांध भी भर चुका है।
बांध भरने के बाद अतिरिक्त पानी की निकासी कर बहाए जाने से बेहतर है कि इसे जयपुर के रामगढ़ बांध में लाया जाए। उन्होंने बताया कि बीसलपुर से जयपुर तक और जयपुर से रामगढ़ बांध तक पाइप लाइन बिछी हुई है। इनको जोड़कर बीसलपुर के अतिरिक्त पानी को रामगढ़ पहुंचाया जा सकता है। उन्होंने बताया कि कुछ साल पहले बीसलपुर के पानी से आमेर मावठे को भरा गया था। इसी की तर्ज पर रामगढ़ को भरा जा सकता है।
चंबल के बढ़ते जलस्तर से गांवों में खतरा बरकरार
इधर, धौलपुर से निकल रही चंबल नदी का जलस्तर अब धीरे-धीरे कम भले ही होता जा रहा हो, लेकिन तटवर्ती निचले इलाकों में बसे गांवों में खतरा अब भी बरकरार है। गत 36 घण्टे में चंबल का स्तर 7 मीटर घटकर 133.50 मीटर पर पहुंच गया है। वर्तमान में भी चंबल नदी खतरे के निशान 129.70 से करीब 4 मीटर ऊपर बह रही है। वहीं जिले के राजाखेड़ा, सरमथुरा तथा बाड़ी उपखण्ड क्षेत्र के करीब दो दर्जन से अधिक गांवों का तीन दिन से संपर्क कटा हुआ है। प्रशासन ने भोजन के पैकेट, दवाई तथा अन्य जरूरी सहायता पहुंचानी शुरू कर दी है।