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जयपुर

आनन-फानन में सत्र बुलाने से सरकार की नियत और निष्ठा पर उठे सवाल

आनन-फानन में सत्र बुलाने से सरकार की नियत और निष्ठा पर उठे सवाल

जयपुरJan 25, 2020 / 12:24 am

abdul bari

जयपुर
भारतीय जनता पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष डाॅ. सतीश पूनियां ने शुक्रवार को कहा कि राज्य सरकार का दलित विरोधी चेहरा अब सामने आ गया है। विधानसभा में पत्रकारों से बातचीत में पूनिया ने कहा कि केन्द्र सरकार ने अनुसूचित जाति एवं जनजाति के आरक्षण को डेढ़ महीने पहले लोकसभा व राज्यसभा में पारित कर 10 वर्षों के लिए आगे बढ़ाया है। इस विधेयक को 18 राज्यों ने लागू कर दिया है। यह विधेयक 25 जनवरी से पहले ही लागू हो जाना चाहिए था, किन्तु राज्य सरकार इस विधेयक पर गंभीर नहीं दिखी। इस कारण यह विधेयक यहां अभी तक पारित नहीं हुआ।
पूनिया ने आरोप लगाया कि प्रदेश में जब से कांग्रेस सरकार आई, तब से दलितों पर अत्याचारों का ग्राफ दिन प्रति दिन बढ़ता गया। आज देश में मध्यप्रदेश के बाद राजस्थान दलितों पर अत्याचार पर दूसरे नम्बर पर है, अपनी इसी गलती को ढ़कने के लिये आनन-फानन में विधानसभा सत्र बुलाया जाना और बजट सत्र में विधायकों को प्रश्नों की तैयारी के लिये समय नहीं देना गलत है। आमतौर पर 21 दिन के नोटिस के बाद बजट सत्र को बुलाया जाता है, इस तरीके से जल्दबाजी में सत्र को बुलाया जाना सरकार की नियत और निष्ठा पर सवाल खड़े करता है।
सरकार का अलोकतांत्रिक चेहरा उजागर हो चुका है।
पूनियां ने कहा कि पंचायत चुनावों का समय पर ना होना, सरकार की अकर्मण्यता को दर्शाता है। यह सरकार शासन करने में पूर्ण रूप से विफल हो गई है। पश्चिमी राजस्थान में टिड्डी दल के हमले से किसान बदहाल एवं पूर्वी राजस्थान के किसान की फसल पाले की चपेट से चैपट हो गई है, किन्तु गहलोत सरकार किसानों के प्रति मौन धारण किये हुए है, इस त्रासदी पर इनका बिल्कुल ध्यान नहीं है।
भ्रष्टाचार का अड्डा बन चुका है परिवहन विभाग
भारतीय जनता पार्टी के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष एवं पूर्व मंत्री डाॅ. अरूण चतुर्वेदी ने काॅमर्शियल वाहन महासंघ के आह्नान पर हुई हड़ताल के लिए प्रदेश की कांग्रेस सरकार और परिवहन मंत्री को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि सरकार के गैर-जिम्मेदाराना रवैये के कारण इनको हड़ताल पर जाना पड़ रहा है, जिससे आम जनता को भारी परेशानी का सामना करना पड़ेगा।
डाॅ. चतुर्वेदी ने कहा कि सरकार ने आरटीओ कार्यालय में वाहन फिटनेस सेन्टर को बंद कर दिया और इसे निजी एजेंसियों को सौंप दिया। कांग्रेस सरकार आने से पहले तो निजीकरण का विरोध करती थी ओर अब वाहन मालिकों को परेशान करने के लिए फिटनेस सेन्टर को निजी हाथों में सौंप रही है। इसमें बड़े भ्रष्टाचार की बू आ रही है। पिछले एक वर्ष में परिवहन विभाग भ्रष्टाचार का अड्डा बन चुका है।
डाॅ. चतुर्वेदी ने कहा कि परिवहन मंत्री ऐसे तो बड़ी-बड़ी बातें करते है, लेकिन प्रदेश के जनजीवन को प्रभावित करने वाले इतने बड़े मामले को सम्भालने के लिए उनके पास समय नहीं है या उनकी भी इसमें मिलीभगत है। टैक्सियों और बसों की हड़ताल से लोगों को यातायात में समस्या होती है, लोगों की परेशानी को देखते हुए इसमें मुख्यमंत्री को हस्तक्षेप करना चाहिए और इस बात की जाँच होनी चाहिए कि किसकी मिलीभगत से फिटनेस सेन्टर को निजी हाथों में देने का निर्णय हुआ है।

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