विधानसभा चुनाव में वसुंधरा सरकार में मंत्री रहे कई नेताओं सहित कई तत्कालीन विधायक भी पार्टी के अधिकृत प्रत्याशियों के खिलाफ निर्दलीय उतर गए थे। वसुंधरा के पांच बागी मंत्रियों में से केवल संसदीय सचिव ओमप्रकाश हुड़ला ही फिर विधानभा पहुंचने में कामयाब रहे। बाकी मंत्रियों को शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा। घनश्याम तिवाड़ी की भारत वाहिनी पार्टी से भी तीन बागी विधायकों को प्रत्याशी बनाया गया, लेकिन तिवाड़ी सहित एक भी भाजपा का बागी नहीं जीत पाया। अब लोकसभा चुनाव को देखते हुए भाजपा अपने बागियों को मनाने में जुटी है। बताया जा रहा है कि 25 के करीब ऐसे नेताओं को भाजपा में वापस लेने पर राष्ट्रीय नेतृत्व से हरी झंडी मिल गई है, जिन्होंने विधानसभा चुनाव में भाजपा की खुली खिलाफत की थी।
राजनीति में कुछ भी संभव
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मदन लाल सैनी ने शुुक्रवार को प्रदेश भाजपा कार्यालय में मीडिया से बातचीत में साफ संकेत दिया कि भाजपा से निकले गए नेताओं को वापस लेने से भाजपा कोई परहेज नहीं करेगी। इस संबंध में पूछे गए सवाल के जवाब में सैनी ने कहा कि पार्टी में आना-जाना लग रहता है, लेकिन पार्टी वापसी के लिए आवेदन करने वाले नेताओं की वापसी पर पार्टी विचार करेगी। उन्होंने कहा कि राजनीति में कुछ भी संभव है।
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मदन लाल सैनी ने शुुक्रवार को प्रदेश भाजपा कार्यालय में मीडिया से बातचीत में साफ संकेत दिया कि भाजपा से निकले गए नेताओं को वापस लेने से भाजपा कोई परहेज नहीं करेगी। इस संबंध में पूछे गए सवाल के जवाब में सैनी ने कहा कि पार्टी में आना-जाना लग रहता है, लेकिन पार्टी वापसी के लिए आवेदन करने वाले नेताओं की वापसी पर पार्टी विचार करेगी। उन्होंने कहा कि राजनीति में कुछ भी संभव है।
चर्चा में कई नाम
पूर्व मंत्री हेमसिंह भड़ाना, राजकुमार रिणवा, सुरेंद्र गोयल तथा धन सिंह रावत सहित कई लोगों के नाम चर्चा में है, जिनको भाजपा में वापस लिया जा रहा है। कई पूर्व विधायक भी घर वापसी वाली सूची में हैं। भाजपा के ज्यादातर बागी विधानसभा चुनाव में हार चुके हैं। ऐसे में ये भी चाहते हैं कि फिर से भाजपा में एंट्री मिल जाए तो राजनीतिक कॅरियर चौपट होने से बच जाएगा।
पूर्व मंत्री हेमसिंह भड़ाना, राजकुमार रिणवा, सुरेंद्र गोयल तथा धन सिंह रावत सहित कई लोगों के नाम चर्चा में है, जिनको भाजपा में वापस लिया जा रहा है। कई पूर्व विधायक भी घर वापसी वाली सूची में हैं। भाजपा के ज्यादातर बागी विधानसभा चुनाव में हार चुके हैं। ऐसे में ये भी चाहते हैं कि फिर से भाजपा में एंट्री मिल जाए तो राजनीतिक कॅरियर चौपट होने से बच जाएगा।