जयपुर

… इधर कयास, और उधर सरकार ने कैबिनेट में कर दिया बड़ा फेरबदल, किए कई बदलाव

प्रदेशाध्यक्ष को लेकर सर्वानुमति नहीं बनने की स्थिति में राजे को भी प्रदेश भाजपा की कमान सौंपी जा सकती है…

जयपुरApr 30, 2018 / 10:08 am

dinesh

BJP,Ujjain,give,Yellow rice,

जयपुर।
राजस्थान में उपचुनावों में भाजपा की तीनों सीटों पर करारी हार के बाद से ही यहां मंत्रीमंडल में फेरबदल की आशंकाएं चली आ रहीं हैं। यहां तक कि मुख्यमंत्री Vasundhara Raje तक को हटाने की चर्चाएं भी ज़ोरों पर रहीं। राजस्थान भाजपा का प्रदेशाध्यक्ष पद भी काफी समय से खाली पड़ा है। प्रदेश में दो लोकसभा तथा एक विधानसभा उपचुनाव में भाजपा को मिली करारी शिकस्त के बाद केंद्रीय नेतृत्व ने मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के विश्वस्त माने जा रहे अशोक परनामी को पार्टी प्रदेशाध्यक्ष पद से हटा दिया गया था। लेकिन राजस्थान में भाजपा अभी तक भी ये तय नहीं कर पाई है कि यहां का प्रदेशाध्यक्ष कौन होगा?
 

राजस्थान में भाजपा को लेकर अभी तक केवल कयास ही लगाए जा रहे हैं। वहीं इस बीच जम्मू-कश्मीर में बड़ा फेरबदल हो गया है। जम्मू-कश्मीर में सत्तारूढ़ पीडीपी और भाजपा गठबंधन की सरकार ने राजनीतिक पंडितों को चौंकाते हुए रविवार को मंत्रिमंडल में बड़ा और अप्रत्याशित फेरबदल करने की घोषणा की। वहां उपमुख्यमंत्री Nirmal Singh ने रविवार देर रात इस्तीफा दे दिया। सिंह की जगह Kavinder Gupta को नए उपमुख्यमंत्री बनाए जाने का ऐलान किया गया है। सिंह का यह इस्तीफा कैबिनेट के फेरबदल से ठीक पहले आया। सोमवार को ही कैबिनेट में बड़ा फेरबदल होगा। फिलहाल गुप्ता जम्मू-कश्मीर विधानसभा के स्पीकर हैं।

माना जा रहा है कि मंत्रिमंडल फेरदबदल के पीछे भाजपा का दबाव ज्यादा काम आया, जो पिछले दिनों रसाना, कठुआ मामले में अपनी छवि बिगडऩे से खासा चिंतित था। मंत्रिमंडल फेरबदल की जो सूची सामने आई है, उसके मुताबिक भी जिन आठ विधायकों को मंत्रीपद की शपथ लेनी है, उनमें से छह विधायक भाजपा के हैं और दो पीडीपी के कोटे से हैं। महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि मंत्रिमंडल के कद्दावर नेता और सीएम मेहबूबा के डेप्युटी निर्मल सिंह ने न सिर्फ पद छोड़ा है, बल्कि नए मंत्रिपरिषद में भी उनका नाम नहीं है।

राजस्थान में भाजपा को है इनका डर
प्रदेशाध्यक्ष पद को लेकर राजपूत, अनुसूचित जाति-जनजाति, ब्राह्मण तथा जाट समुदाय के नेताओं की महत्वकांक्षा इस कदर बढ़ गई है कि पद नहीं मिलने की स्थिति में विरोध में भी कोई संकोच नहीं करेंगे। जातिगत सम्मेलनों में भी अब भाजपा अध्यक्ष पद की न केवल चर्चा होने लगी है, बल्कि वोटों का गणित समझाकर दावेदारी भी जताई जाने लगी है। केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को प्रदेशाध्यक्ष तय माना जा रहा था, लेकिन मुख्यमंत्री की केंद्रीय नेतृत्व से मंत्रणा के बाद मामला अटक गया है। इसे मुख्यमंत्री खेमा अपनी रणनीतिक जीत मान रहा है।
 

वसुंधरा भी संभाल सकती कमान
अब कयास यह भी लगाया जा रहा है कि प्रदेशाध्यक्ष को लेकर सर्वानुमति नहीं बनने की स्थिति में राजे को भी प्रदेश भाजपा की कमान सौंपी जा सकती है। यह तय माना जा रहा है कि विधानसभा चुनाव वसुंधरा राजे के नेतृत्व में ही लड़ा जाएगा। ऐसे में चुनाव प्रचार समिति और प्रदेशाध्यक्ष भी उनकी पसंद का होगा, ताकि प्रचार अभियान को लेकर किसी प्रकार का कहीं टकराव नहीं हो।
Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.