जमीनी हकीकत यह है कि नमक उद्योग बंद होने से पोकरण क्षेत्र में लगी करीब एक दर्जन नमक उत्पादन केन्द्रों के दो दशक से ताले ही नहीं खुले हैं। यहां काम करने वाले कार्मिक भी अन्य रोजगारों की ओर मुड़ गए हैं। यहां कभी ट्रकों में भरकर नमक को पोकरण स्थित नमक पिसाई के लिए लाने और यहां इकाइयों में नमक की पिसाई कर उसको सूखाने व बोरियों में भरकर रेलों के डिब्बों में लोडिंग करने में भी प्रतिदिन 200 से अधिक श्रमिक कार्य करते थे। रिण क्षेत्र में कुओं से खारे पानी की सिंचाई, क्यारियों में नमक की धुलाई व क्यारियों से नमक को बाहर थले पर लाकर डालने में करीब 500 मजदूरों को प्रतिदिन रोजगार मिलता था। तब उत्पादित नमक रेलवे की खुदरा लदान के चलते रेलों के माध्यम से देश के कोने-कोने में बड़ी मंडियों मे जाकर बिकता था। जिससे नमक उत्पादकों को उसके पर्याप्त भाव मिल जाते थे।