scriptपोकरण के सफेद नमक पर दो दशक से काली दृष्टि | Black eyes on white salt of Pokaran for two decades | Patrika News
जयपुर

पोकरण के सफेद नमक पर दो दशक से काली दृष्टि

शुरू हो उत्पादन तो बढ़ेगा विकास व 500 मजदूरों को मिल सकेगा रोजगार

जयपुरMay 29, 2020 / 05:15 pm

jagdish paraliya

Black eyes on white salt of Pokaran for two decades

If production starts, growth will increase and 500 laborers will get employment

700 कुओं पर हर दिन 15 हजार क्विंटल नमक उत्पादन की क्षमता
जैसलमेर. सरहदी जिले में पत्थर, पवन व पर्यटन ने औद्योगिक विकास को गति दी है, वहीं विकास के नए मार्ग भी खोल दिए हैं। इन सबके बीच अभी तक जिम्मेदारों का ध्यान नहीं गया है और वह है पोकरण के नमक उद्योग पर। कभी सैकड़ों हाथों को रोजगार देने वाले नमक उद्योग पर लगा उदासीनता का ग्रहण अभी तक हट नहीं पाया है। यह उद्योग कभी परमाणु नगरी पोकरण की पहचान था। रेलवे की ओर से खुदरा लदान नहीं होने से यह निराशाजनक स्थिति बनी है। जानकारों की मानें तो यदि नमक इकाइयां फिर से शुरू तो हर दिन 500 श्रमिकों को तो रोजगार मिलेगा ही, उद्योग के क्षेत्र में भी पोकरण अपनी पहचान प्रगाढ़ कर सकेगा। बताते हैं कि यहां 700 कुओं पर हर दिन 15 हजार क्विंटल नमक का उत्पादन की क्षमता है।
२० साल से नहीं खुले ताले
जमीनी हकीकत यह है कि नमक उद्योग बंद होने से पोकरण क्षेत्र में लगी करीब एक दर्जन नमक उत्पादन केन्द्रों के दो दशक से ताले ही नहीं खुले हैं। यहां काम करने वाले कार्मिक भी अन्य रोजगारों की ओर मुड़ गए हैं। यहां कभी ट्रकों में भरकर नमक को पोकरण स्थित नमक पिसाई के लिए लाने और यहां इकाइयों में नमक की पिसाई कर उसको सूखाने व बोरियों में भरकर रेलों के डिब्बों में लोडिंग करने में भी प्रतिदिन 200 से अधिक श्रमिक कार्य करते थे। रिण क्षेत्र में कुओं से खारे पानी की सिंचाई, क्यारियों में नमक की धुलाई व क्यारियों से नमक को बाहर थले पर लाकर डालने में करीब 500 मजदूरों को प्रतिदिन रोजगार मिलता था। तब उत्पादित नमक रेलवे की खुदरा लदान के चलते रेलों के माध्यम से देश के कोने-कोने में बड़ी मंडियों मे जाकर बिकता था। जिससे नमक उत्पादकों को उसके पर्याप्त भाव मिल जाते थे।

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