इस शोध में दावा किया गया है कि अंतर्निहित डिजाइन दोष वाले लो एनर्जी ब्लूटूथ डिवाइसेज को सबसे अधिक खतरा होता है। यह खतरा तब और भी अधिक बढ़ जाता है जब किसी मोबाइल एप से किसी ब्लूटूथ युक्त डिवाइस को पेयर किया जाता है। पेयरिंग के लिए दोनों डिवाइसेज के मध्य होने वाले कम्यूनिकेशन के दौरान हैकर्स जानकारी को हैक कर निजता में सेंध लगा सकते हैं। हालांकि ब्लूटूथ युक्त डिवाइस जब ऑपरेट की जाती है तब भी उसके हैक होने का भी खतरा रहता है। गौरतलब है कि वर्तमान समय में युवाओं द्वारा स्मार्ट डिवाइसेज का इस्तेमाल तेजी से बढ़ता जा रहा है। स्मार्ट बैंड हो या स्मार्ट वॉच, वायरलैस ईयरफोन हों या वायरलैस माउस—कीबोर्ड इन सभी में ब्लूटूथ का इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा स्मार्ट होम मेकिंग गैजेट्स जिनमें स्मार्ट स्पीकर, स्मार्ट कैमरा, स्मार्ट लॉक आदि शामिल हैं। इनमें भी ब्लूटूथ तकनीक का इस्तेमाल होता है। दो स्मार्टफोन या उपकरणों के बीच डेटा ट्रांसफर और इंटरनेट शेयरिंग में भी ब्लूटूथ का इस्तेमाल होता है। ई—बाइक्स, पीसी, लेपटॉप में भी ब्लूटूथ का इस्तेमाल किया जाता है।
दरअसल जब भी किसी डिवाइस को किसी अन्य ब्लूटूथ डिवाइस या एप से कनेक्ट किया जाता है तो दोनों के बीच कम्यूनिकेशन होता है। यह संचार UUID यानी यूनिवर्सली यूनिक आइडेंटिफायर कहा जाता है। यही आइडेंटिफायर आपके फोन में मौजूद एप को ब्लूटूथ डिवाइस से कनेक्ट करता है, लेकिन यदि इसी आइडेंटिफायर की जानकारी हैक कर ली जाए तो आपके फोन को यह हैक भी करा सकता है। कुछ मामलों में ब्लूटूथ संचार एनक्रिप्टेड नहीं होता या सही तरीके से एनक्रिप्टेड नहीं होता तो भी हैकर आपकी जानकारी चुरा सकता है। इससे पहले भी विभिन्न एंड्राइड और आईओएस एप, टेक्स्ट मैसेज, इंटरनेट सर्विस, सोशल मीडिया के इस्तेमाल करने वालों के डेटा लीक होने की खबरें आई थीं। यह भी सामने आया है कि स्ट्रीमिंग सर्विस का इस्तेमाल भी आपकी प्राइवेसी को खतरे में डाल सकता है। हाल ही कुछ रिसर्च में सामने आया था कि कई बार यूजर अपनी इन्फर्मेशन छिपाने की कोशिश करते हैं, इसके बावजूद यूजर्स की परमिशन के बिना उनका डेटा कलेक्ट करके फेसबुक, गूगल और नेटफ्लिक्स जैसी कंपनियों के साथ शेयर किया जाता है।