दरअसल बोर्ड-निगमों और आयोगों के उपाध्यक्ष को भी सरकार में भागीदारी देने की तैयारी चल रही है। उपाध्यक्ष को उप मंत्री बनाकर सरकार में भागीदारी दी जाएगी।
बताया जाता है कि जल्दी ही मंत्रिमंडल सचिवालय की ओर से बोर्ड-निगमों और आयोगों के उपाध्यक्ष को उप मंत्री का दर्जा देने के आदेश जारी हो सकते हैं।
सरकारी गाड़ी और वेतन भत्ते मिलेंगे
बोर्ड-निगम और आयोगों के उपाध्यक्ष को उप मंत्री का दर्जा मिलने के बाद सरकारी वाहन, वेतन भत्ते, मासिक आवास किराया और सर्किट हाउस में ठहरने जैसी सुविधाएं मिलेंगी। साथ राज्य मंत्रियों की तरह उन्हें चिकित्सा सुविधाएं मिलेगी। इसके अलावा कार्यालय और सरकारी स्टाफ भी मिलेगा।
4 माह से बिना सुविधाओं के काम कर रहे हैं उपाध्यक्ष
दिलचस्प बात तो यह है कि गहलोत सरकार ने विभिन्न बोर्ड- निगम और आयोगों में चेयरमैन और उपाध्यक्ष की नियुक्ति की थी लेकिन गहलोत सरकार ने बोर्ड-निगमों और आयोग के चेयरमैन को तो राज्य मंत्री और कैबिनेट मंत्री का दर्जा दे दिया और उन्हें तमाम सुविधाएं भी उपलब्ध करा दी लेकिन बोर्ड-निगमों और आयोगों के उपाध्यक्ष को सुविधाओं के नाम पर कुछ नहीं मिला। पिछले 4 महीने से बोर्ड-निगम के उपाध्यक्ष बिना सुविधाओं के काम कर रहे हैं।
कई उपाध्यक्ष को बैठने के लिए कार्यालय तक नहीं
वही कई बोर्ड-निगम औरआयोगों के उपाध्यक्ष तो ऐसे भी हैं जिन्हें बैठने के लिए कार्यालय तक नहीं है। और कई कार्यालय ऐसे हैं जहां पर केवल अध्यक्ष कोई बैठने का स्थान मिला हुआ है। ऐसे में बोर्ड-निगमों,आयोगों के उपाध्यक्ष बिना सुविधाएं के काम करने को मजबूर हो रहे थे।
मुख्यमंत्री के सामने भी जाहिर की थी पीड़ा
हाल ही में बोर्ड-निगम और आयोगों के उपाध्यक्ष नियुक्त किए गए नेताओं ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से भी मुलाकात करके अपनी पीड़ा जाहिर की थी, जिस पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने उन्हें जल्द की सरकार में भागीदारी देने का आश्वासन भी दिया था। और उसके बाद ही बोर्ड- निगमों और आयोगों के उपाध्यक्ष को भी उप मंत्री का दर्जा देने की कवायद शुरू हुई थी।
2 विधायकों को भी बनाया गया बोर्ड-निगमों आयोगों का उपाध्यक्ष
इधर गहलोत सरकार ने जहां 1 दर्जन से ज्यादा विधायकों को बोर्ड-निगम और आयोगों का चेयरमैन बनाया है तो वहीं दो विधायक ऐसे भी हैं जिन्हें बोर्ड- निगम और आयोगों में उपाध्यक्ष बनाया गया है। इनमें दीपचंद खेरिया और रमिला खड़िया शामिल हैं। हालांकि ऑफिस ऑफ प्रॉफिट के चलते इन दोनों विधायकों को उप मंत्री का दर्जा नहीं मिल पाएगा।
इन 23 नेताओं को बनाया था बोर्ड- निगमों और आयोगों में उपाध्यक्ष
1- दीपचंद खेरिया- उपाध्यक्ष-किसान आयोग
2-पंकज मेहता- उपाध्यक्ष--खादी ग्रामोद्योग बोर्ड
3-सचिन सरवटे----- उपाध्यक्ष----अनुसूचित जाति आयोग
4-सुमेर सिंह------- उपाध्यक्ष----------- गौ सेवा आयोग
5-डूंगरराम गेदर------उपाध्यक्ष------- माटी कला बोर्ड
6-सतवीर चौधरी---- उपाध्यक्ष-------राज्य क्रीड़ा परिषद
7-राजेश टंडन------ उपाध्यक्ष--------वरिष्ठ नागरिक कल्याण बोर्ड
8-रामसहाय बाजिया- उपाध्यक्ष------- सैनिक कल्याण सलाहकार समिति
9-सांवरमल मेहरिया- ---उपाध्यक्ष------ राजस्थान धरोहर संरक्षण प्रोन्नति प्राधिकरण
10-चुन्नीलाल राजपुरोहित-- उपाध्यक्ष------- पशुधन विकास बोर्ड
11-किशनलाल जैदिया-- -उपाध्यक्ष--------- सफाई कर्मचारी आयोग
12-रमिला खड़िया--- --उपाध्यक्ष-------------- अजजा आयोग
13-सुशील पारीक--- --उपाध्यक्ष----------- युवा बोर्ड
14-चतराराम देशबंधु---- उपाध्यक्ष------- घुमंतु अर्ध घुमंतु बोर्ड
15-जगदीश श्रीमाली---- उपाध्यक्ष---------- श्रम सलाहकार समिति
16-रमेश बोराणा----- उपाध्यक्ष------------ राज्य मेला प्राधिकरण
17-मंजू शर्मा------- उपाध्यक्ष-------------- विप्र कल्याण बोर्ड
18- मानसिंह गुर्जर--- उपाध्यक्ष------------ सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ़ वॉलंटरी सेंटर
19- कीर्ति सिंह भील--- उपाध्यक्ष--------------- मारवाड़ क्षेत्रीय जनजाति विकास बोर्ड
20-मीनाक्षी चंद्रावत---- उपाध्यक्ष------------------ समाज कल्याण बोर्ड
21-सुचित्रा आर्य--------- उपाध्यक्ष------------ स्टेट एग्रो इंडस्ट्रीज डेवलपमेंट बोर्ड
22- दर्शन सिंह गुर्जर------ उपाध्यक्ष------------ पिछड़ा वर्ग वित्त विकास आयोग
23-अवधेश दिवाकर बैरवा-- उपाध्यक्ष------------- अनुसूचित जाति वित्त विकास आयोग