सीबीआई अफसरों के नाम पर रिश्वत लेने वाले को दो साल की जेल
– भ्रष्टाचार के आरोपी अफसरों के खिलाफ कोर्ट ने जांच के दिए आदेश
जयपुर•Jan 17, 2020 / 05:58 pm•
Ankit
Magistrate sentenced hunter to three years in Chinkara hunting case
जयपुर. रिश्वत प्रकरण में बीएसएनएल के अफसर को क्लीन चिट दिलाने के लिए सीबीआइ अफसरों के लिए 7 लाख रुपए की रिश्वत लेते गिरफ्तार किए दलाल शाहपुरा हाल ब्रह्मपुरी निवासी नरोत्तम लाल स्वर्णकार को सीबीआई मामलों की विशेष अदालत में जज मुकेश ने दो साल के कठोर कारावास एवं 7 लाख रुपए के जुर्माने की सजा से दण्डित किया है। रिश्वत के इस गंभीर प्रकरण में गलत अनुसंधान करने तथा दोषी अफसरों को बचाने पर अदालत ने आदेश की प्रति सीबीआई निदेशक, दिल्ली और एस.पी. सीबीआई, एसीबी जयपुर को भेजते हुए आरोपी अफसर राम अवतार सोनी, जितेन्द्र कुमार, हुकुम सिंह सहित अन्य के खिलाफ डीआईजी स्तर के उच्चाधिकारी से 6 माह में जांच करवा कर नतीजा अदालत में पेश करने के आदेश दिए हैं।
अभियुक्त नरोत्तम लाल स्वर्णकार का रिश्तेदार भाई एवं परिवादी फतेहसिंह को ट्रेप करने वाले मुख्य अभियुक्त राम अवतार सोनी को क्लीन चिट देने वाली अंतिम रिपोर्ट को कोर्ट ने अस्वीकार कर सीबीआई को वापस भेज दिया है। कोर्ट ने आदेश में कहा कि जांच अधिकारी ने आरोपियों को अनुचित लाभ पहुंचाया है।
गौरतलब है कि बीएसएनएल में तत्कालीन डीजीएम फतेह सिंह मीणा ने 15 जून, 2011 को सीबीआई दिल्ली में शिकायत दी कि ठेकेदार सुखवीर सिंह की शिकायत पर उसे सीबीआई ने झूठे ट्रेप केस में फंसा दिया। कोई साक्ष्य नहीं है। 11 महीने बीत जाने पर भी कोई रिपोर्ट सीबीआई ने पेश नहीं की। डीआईजी ने ट्रेप करने वाले (टीएलओ) राम अवतार सोनी एवं जांच अधिकारी जितेन्द्र कुमार से मिलने को कहा। अब वे नरोत्तम सोनी के माध्यम से रिश्वत की मांग कर रहे हैं। 3 जून को नरोत्तम ने बड़ी चौपड़ बुलाकर 7 लाख रुपए मांगे। 12 जून तक हुई बातचीत को फतेह सिंह ने रिकार्ड भी कर लिया। उसने डेढ़ लाख रुपए जितेन्द्र, डेढ़ लाख रुपए राम अवतार सोनी, 4 लाख रुपए उच्च अधिकारी को देना बताया। काम होने के बाद एक लाख रुपए स्वयं के लिए मांगे। सीबीआई ने दलाल को ट्रेप कर लिया। एफआईआर में राम अवतार को नामजद ही नहीं किया। बाद में 12 अगस्त, 2011 को सीबीआई ने दलाल के खिलाफ चालान पेश कर रामअवतार सोनी के खिलाफ अनुसंधान लम्बित रखा था। जांच अधिकारी बालकृष्ण के कथन कि रिश्वती राशि 7 लाख रुपए दलाल को ही जाते और किसी अन्य को नहीं, इसके संबंध में कोर्ट ने आदेश में कहा कि विपरित कथन किए हैं, जो कि प्राथमिक ज्ञान के नहीं हो सकते।
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