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जयपुर

ब्रिटेन के जीवों को न जाने लगी किसकी नजर

हाल में आई एक नेचर रिपोर्ट के अनुसार, तत्काल एक्शन न लिए जाने पर, ब्रिटेन के वन्यजीव मर जाएंगे और कई प्रजातियां हमेशा-हमेशा के लिए विलुप्त हो जाएंगी।

जयपुरOct 31, 2019 / 08:22 am

Kiran Kaur

ब्रिटेन के जीवों को न जाने लगी किसकी नजर

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हाल में आई एक नेचर रिपोर्ट के अनुसार, तत्काल एक्शन न लिए जाने पर, ब्रिटेन के वन्यजीव मर जाएंगे और कई प्रजातियां हमेशा-हमेशा के लिए विलुप्त हो जाएंगी। वैज्ञानिकों ने यह चिंता 1970 के दशक के बाद से वन्यजीवों की निगरानी के आधार पर व्यक्त की है। 70 से अधिक वन्यजीव संगठनों के प्रमुख विशेषज्ञों ने व्यापक रिपोर्ट को बनाने के लिए सरकारी एजेंसियों को भी शामिल किया। यह रिपोर्ट चेतावनी देती है कि वन्यजीवों की गिरावट लगातार बनी हुई है। इस रिपोर्ट के लिए वैज्ञानिकों ने हजारों स्तनपायी जीवों और पौधों की प्रजातियों का आकलन किया। विलुप्ति का खतरा जिन जीवों पर मंडरा रहा है उनमें चमगादड़, वाइल्डकैट्स और बड़े कान वाले चमगादड़ भी शामिल हैं।
अध्ययन में पाया गया कि जानवरों, पक्षियों और तितलियों सहित ब्रिटेन की प्रजातियों के 2/५ से अधिक में हाल के दशकों में महत्त्वपूर्ण गिरावट देखी गई है। चूंकि लगभग 133 प्रजातियां पहले ही ब्रिटेन के तटों से गायब हो गई हैं, जिसमें रिनेक और सेरिन जैसे पक्षी शामिल हैं, जो कि 20वीं शताब्दी में प्रजनन पक्षियों के रूप में विलुप्त हो गए हैं। पक्षियों के संरक्षण के लिए रॉयल सोसाइटी (आरएसपीबी) में संरक्षण वैज्ञानिक डॉ. डैनियल हेहोव के अनुसार हम ग्रह पर किसी भी अन्य देश की तुलना में ब्रिटेन के वन्यजीवों के बारे में अधिक जानते हैं और जो बताया जा रहा है उसे हमें सुनना चाहिए। अगर हम प्रकृति को वापस पुरानी अवस्था में लाना चाहते हैं, तो हमें तत्काल जरूरी कदम उठाने होंगे। वैज्ञानिकों के अनुसार गहन कृषि और जलवायु परिवर्तन का भी जीवों की संख्या पर प्रभाव पड़ रहा है। 1980 के दशक के बाद से ब्रिटेन का औसत तापमान एक डिग्री सेल्सियस बढ़ रहा है।
नेशनल ट्रस्ट से जुड़े रोजी हेल्स के अनुसार हम अब एक ऐसे चौराहे पर हैं जब हमें शब्दों के बजाय काम करने की जरूरत है। हमें जोखिम में आई प्रजातियों की गिरावट को रोकने के साथ-साथ उन्हें बढ़ाने पर भी काम करने होगा। साथ ही जीवों के लिए नए आवासों की रक्षा करना और बनाना भी हमारे उद्देश्यों में शामिल होना चाहिए। वर्ष 1970 के बाद से कुछ तितलियों की आबादी, जैसे कि उच्च भूरे रंग के फ्रिटिलरी व ग्रेलिंग, जिन्हें विशेष आवास की जरूरत होती है, तीन-चौथाई से कम हो गई हैं।

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