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जयपुर

उपचुनाव – Gehlot— Pilot . Poonia प्रचार के आखिरी दौर में कूदेंगे

प्रदेश की दो सीटों पर हो रहे उपचुनाव को लेकर कांग्रेस, भाजपा और रालोपा में जोर आजमाइश तेज हो गई है

जयपुरOct 12, 2019 / 10:50 am

rahul

ashok gehlot

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जयपुर। प्रदेश की दो सीटों पर हो रहे उपचुनाव को लेकर कांग्रेस, भाजपा और रालोपा में जोर आजमाइश तेज हो गई है और तीनों ने अपने प्रचार अभियान को तेज कर दिया है। नागौर की खींवसर और झुंझुनूं की मंडावा सीट पर 21 जून को उपचुनाव होगा और 24 जून को नतीजे आएंगे। ये चुनाव तीनों ही दलों के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बने हुए है और उनके नतीजे आने वाले निकाय और पंचायत चुनाव पर भी असर डालेंगे। कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलट खुद भी कह चुके हैं कि ये चुनाव दस माह की कांग्रेस सरकार के कामकाज की परख है। सीएम अशोक गहलोत और प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलट ने अभी तक इन दोनों सीटों पर प्रचार नहीं किया है। वे प्रचार के आखिरी दौर में जाएंगे। इसी तरह भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया का भी कुछ दिन बाद दोनों सीटों पर जाने का कार्यक्रम है।
मिर्धा बीस साल से नहीं जीते — खींवसर से कांग्रेस के प्रत्याशी हरेन्द्र मिर्धा 1998 में नागौर से विधायक बने थे और गहलोत सरकार में सार्वजनिक निर्माण मंत्री रहे थे। इसके बाद वे आज तक कोई चुनाव नहीं जीते। ये चुनाव मिर्धा परिवार के लिए बड़ी चुनौती है। उनका मुकाबला रालोपा के नारायण राम बेनीवाल से है। दोनों के बीच कांटे की लड़ाई है। नारायण राम बेनीवाल नागौर से रालोपा के सांसद हनुमान बेनीवाल के छोटे भाई है। हनुमान इस खींवसर सीट से लगातार तीन बार विधायक रह चुके है। पहला चुनाव वे भाजपा के बैनर पर लडे थे। इसके बाद भाजपा से मोह भंग हुआ तो 2013 में निर्दलीय चुने गए और 2018 में उन्होने रालोपा बनाई और लगातार तीन बार विधायक बने। सांसद बन जाने के बाद उन्होंने इस सीट से इस्तीफा दे दिया था। भाजपा ने खींवसर में बेनीवाल के प्रभाव को देखते हुए अपना उम्मीदवार नहीं उतारा और रालोपा को समर्थन दे दिया। हनुमान बेनीवाल अपने भाई को जिताने के लिए कोई कसर बाकी नहीं रख रहे और प्रचार में लगे हुए है। उधर हरेन्द्र मिर्धा के समर्थन में भाजपा नेता दुर्ग सिंह ने कांग्रेस ज्वाइन कर ली थी। इससे मिर्धा को थोड़ी राहत जरूर मिली है लेकिन मुकाबला दोनों दलों के लिए ही चुनौती बना हुआ है।
मंडावा में भी मुकाबला रोचक— मंडावा सीट पर भी कांग्रेस और भाजपा के बीच रोचक मुकाबला है। कांग्रेस की पूर्व विधायक रीटा चौधरी और भाजपा की सुशीला सींगड़ा के समर्थन में दोनों दलों के स्टार प्रचारक भी मैदान में कूद पड़े है और अपने अपने प्रत्याशी का चुनाव प्रचार कर रहे है। रीटा चौधरी 2008 में विधायक चुनी गई थी। 2013 में उनका टिकट काटकर कांग्रेस के तत्कालीन प्रदेशाध्यक्ष चन्द्रभान को दिया गया था लेकिन चन्द्रभान की जमानत जब्त हो गई थी। 2018 में कांग्रेस ने पुन: रीटा चौधरी को टिकट दिया लेकिन वे करीब दो हजार वोटों से भाजपा के नरेन्द्र खींचड़ से मात खा गई थी। भाजपा की प्रत्याशी सुशीला सींगड़ा पहले कांग्रेस में रह चुकी है। दोनों महिलाओं ने इस सीट की लड़ाई को टक्कर का बनाया हुआ है।

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