किसानों का आरोप है कि इलाके के रसूखदार खुलेआम पानी की चोरी करते हैं। खेत में बड़ी डिग्गी बना रखी है, जिसे चोरी के पानी से भरी जाती है। फिर डिजल इंजन
चलाकर फव्वारे से सिंचाई की जाती है। ऐसा नहीं है कि अधिकारियों की नजर इस पर नहीं पड़ती है, फिर भी अधिकारी नजरअंदाज कर देते हैं। जिसके कारण किसानों
को भारी नुकसान हो रहा है।
इधर, नहर में पानी आते ही अवैध मोघे, अंडर ग्राउंड पाइप लाइन और साइफन पाइप से लगातार पानी जमा किया जाता है। नहर परियोजना के अभियंताओं से शिकायत
करने के बाद भी मोघों और स्थाई रूप से बिछाई गई पाइप लाइन को नहीं हटाया गया है। कई बार किसानों की ओर से पुलिस और अभियंताओं को मौका मुआयना भी
करवाया गया, लेकिन कोई निस्तारण नहीं होने के कारण अंडर ग्राउंड पाइप लाइन अभी भी लगी हुई है।
किसानों को पर्याप्त पानी नहीं मिलने से आयेदिन किसानों के बीच झगड़ा हो जाता है। किसानों का आरोप है कि ये सब अभियंताओं की मिलीभगत से हो रहा है। जिसके कारण अभियंता कार्रवाई नहीं करते हैं। चोरी करने वाले लोगों की फसल लहलहा रही है, वहीं पैसे देकर पानी लेने वाले किसानों की फसलें मुरझा रही है। जिसके कारण किसान कर्ज में डूबता जा रहा है, और यही हाल रहा तो किसानों को जमीन बेचकर जाना पड़ेगा। परियोजना के एक्सईएन इमीचन्द ने बताया कि क्षेत्र बड़ा है। स्टॉफ की कमी है। स्टॉफ की कमी होते हुए भी नियमित गश्त करवाई जा रही है। पानी चोरी करने वालों को बख्सा नहीं जाएगा। पिछले दिनों भी पानी चोरी करने वाले दो जनों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई है। चोरी को रोकने के लिए गश्त को बढाया जाएगा।