उन्होंने बताया कि राज्य के लोगों को किसी भी तरह के कैंसर की जांच और उपचार के लिए प्रदेश के बाहर ना जाना पड़ा इस उदेश्य से चिकित्सालय समय-समय हर आधुनिक तकनिक को चिकित्सालय से जोड़ रहा है। डॉ राठौर ने बताया कि इंसुलिनोमा ट्यूमर के रोगी के शरीर में इंसुलिन की मात्रा तेजी से बढ़ती जाती है, जिसकी वजह से ग्लूकोज का स्तर घटता चला जाता है। आमतौर पर एक व्यक्ति में ग्लूकोज की मात्रा 90 से 110 मिलिग्राम होती है, जो इस रोग में बार-बार घटकर 50 से भी नीचे तक पहुंच जाती है। इससे रोगी को कमजोरी आती है, पसीना आकर रोगी बेसुध हो जाता है। कई रोगियों में ग्लूकोज का लेवल कम होने पर मानसिक स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। उपचार के तहत रोगी का ऑपरेशन कर इस टयूमर को निकाला जाता है।