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जयपुर

राज्य के पहले इंसुलिनोमा टयूमर की हुई पहचान

Cancer Insulinoma Tumor : Identified in Rajasthan शरीर में Insulin की मात्रा को तेजी से बढाने वाले Cancer Insulinoma Tumor की Identi राज्य में First Time हुई है। Doctors के अनुसार Pancreas के अंदर 1.3 सेमी Insulinoma Tumor की पहचान Gallium 68 Dotanok Pat City Scan के जरिए की गई है। इस Scan को Molecular Functional Imaging Test कहा जाता है।

जयपुरSep 12, 2019 / 07:59 pm

Anil Chauchan

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जयपुर . शरीर में इंसुलिन ( Insulin ) की मात्रा को तेजी से बढाने वाले कैंसर इंसुलिनोमा टयूमर ( Cancer Insulinoma Tumor ) की पहचान ( Identi ) राज्य में पहली बार ( First Time ) हुई है। डॉक्टरों ( Doctors ) के अनुसार अग्नाशय के अंदर 1.3 सेमी इंसुलिनोमा टयूमर ( Insulinoma Tumor ) की पहचान गैलियम 68 डॉटानोक पैट सिटी स्केन ( Gallium 68 Dotanok Pat City Scan ) के जरिए की गई है। इस स्केन ( Scan ) को मोलिक्यूलर फंक्शनल इमेजिंग टेस्ट ( Molecular Functional Imaging Test ) कहा जाता है।
डॉ.जे.के.भगत और डॉ. हेमंत राठौर की टीम ने इस टयूमर की पहचान की है। डॉ. हेमंत राठौर ने बताया कि इंसुलिनोमा टयूमर एक तरह का न्युरोऐण्डोक्राईन टयूमर होता है, जिसमें अत्याधिक मात्रा मे सोमेटोस्टेटिन व गलायकोप्रोटिन 1 नामक रिसेपटार होता है, जिसे गैलियम 68 डॉटानोक पैट सिटी स्केन के द्वारा खोजा जा सकता है। डॉ.जे.के.भगत ने बताया कि इंसुलिनोमा ट्यूमर का साइज बहुत छोटा होता है। इसकी वजह से इसकी पहचान साधारण सिटी स्केन या एमआरआई से करना संभव नही होता है। इसके लिए एडवांस डायग्नोसिस मशीन की जरूरत होती है। चिकित्सालय में मौजूद प्रदेश की पहली और एक मात्र गैलियम 68 मशीन के जरिए इस रोग की पहचान की गई है।

उन्होंने बताया कि राज्य के लोगों को किसी भी तरह के कैंसर की जांच और उपचार के लिए प्रदेश के बाहर ना जाना पड़ा इस उदेश्य से चिकित्सालय समय-समय हर आधुनिक तकनिक को चिकित्सालय से जोड़ रहा है। डॉ राठौर ने बताया कि इंसुलिनोमा ट्यूमर के रोगी के शरीर में इंसुलिन की मात्रा तेजी से बढ़ती जाती है, जिसकी वजह से ग्लूकोज का स्तर घटता चला जाता है। आमतौर पर एक व्यक्ति में ग्लूकोज की मात्रा 90 से 110 मिलिग्राम होती है, जो इस रोग में बार-बार घटकर 50 से भी नीचे तक पहुंच जाती है। इससे रोगी को कमजोरी आती है, पसीना आकर रोगी बेसुध हो जाता है। कई रोगियों में ग्लूकोज का लेवल कम होने पर मानसिक स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। उपचार के तहत रोगी का ऑपरेशन कर इस टयूमर को निकाला जाता है।

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