scriptतारों की नई जोड़ी मिली, हर 51 मिनट में एक-दूसरे का चक्कर | 'Cataclysmic' 51-minute orbit between two stars is the fastest ever re | Patrika News
जयपुर

तारों की नई जोड़ी मिली, हर 51 मिनट में एक-दूसरे का चक्कर

जय विज्ञान : एमआइटी के खगोलविदों ने तारों का सबसे छोटा परिक्रमा काल भी खोजासूर्य जैसा तारा बौने तारे को ‘दान’ कर रहा है हाइड्रोजन

जयपुरOct 07, 2022 / 11:34 pm

Aryan Sharma

तारों की नई जोड़ी मिली, हर 51 मिनट में एक-दूसरे का चक्कर

तारों की नई जोड़ी मिली, हर 51 मिनट में एक-दूसरे का चक्कर

वॉशिंगटन. मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआइटी) के खगोलविदों ने तारों की एक जोड़ी की खोज की है, जिनका परिक्रमा काल सबसे छोटा है। ये हर 51 मिनट में एक-दूसरे का चक्कर लगाते हैं। खगोल शास्त्र में इस प्रणाली को प्रलयकारी चर (केटाक्लिसमिक वेरिएबल) कहा जाता है। इन दो तारों में से एक सफेद ऑर्बिट में परिक्रमा करता है। इसकी कोर गर्म और घनी है।
यह नई खोज नेचर जर्नल में प्रकाशित की गई है। खगोलविदों की टीम ने तारों की इस जोड़ी को जेडटीएफ-जे 1813+4251 टैग दिया है। इनके जरिए तारों की अब तक की सबसे छोटी कक्षा का पता चला है। टीम दोनों तारों के गुणों का आगे अध्ययन करेगी। फिलहाल खगोलविदों ने सिर्फ अनुमान लगाया है कि इनकी प्रणाली आज किस तरह चल रही है और भविष्य में क्या रूप ले सकती है। उनका मानना है कि दोनों तारे इस समय संक्रमण काल में हैं।


और करीब हो जाएंगे करोड़ों साल बाद
इस जोड़ी का एक तारा सूर्य जैसा है। वह अपना अधिकांश हाइड्रोजन वातावरण सफेद बौने तारे को ‘दान’ कर रहा है। इन तारों की खोज करने वाली टीम का कहना है कि सूर्य जैसा तारा अंतत: घनी, हीलियम युक्त कोर में बदल जाएगा। करीब सात करोड़ साल बाद दोनों तारे एक-दूसरे के और करीब हो जाएंगे। तब इनका परिक्रमा काल घटकर 18 मिनट तक हो सकता है।

पहली बार सीधे देखी संक्रमण प्रणाली
पहली बार तारों की इस तरह की संक्रमण प्रणाली सीधे देखी गई है। एमआइटी के भौतिकी विभाग से जुड़े केविन बर्ज का कहना है, ‘यह दुर्लभ मामला है, जब हमने तारे को हाइड्रोजन से हीलियम अभिवृद्धि करते हुए पकड़ा है। तारों के संक्रमण काल के अध्ययन की दृष्टि से यह खोज सुकून देने वाली है।’

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