तेंदुओं के रक्षक थे चंबल के डाकू, अब किसान ही मार डालते हैं!
जयपुर. क्या अपराधी भी किसी के रक्षक हो सकते हैं? शायद ये पढ़कर आप आश्चर्य में पड़ जाएं लेकिन चंबल के डाकू बीहड़ों में रहने वाले जानवरों के रक्षक थे। उनके भय से शिकारी बीहड़ों में प्रवेश नहीं करते थे और तेंदुए समेत अन्य वन्यजीव सुरक्षित रहते थे। यही हाल जलचरों का था, वे भी चंबल में निर्भय होकर तैरते रहते थे।
तेंदुओं के रक्षक थे चंबल के डाकू, अब किसान ही मार डालते हैं!
लेकिन अब चंबल के बीहड़ों में हालात बदल गए हैं। वन्यजीवों का न सिर्फ शिकार किया जा रहा है बल्कि किसान भी बिजली के तार इत्यादि लगाकर उन्हें मार डालते हैं।
डाकुओं के सफाये के बाद रिहायशी क्षेत्र में बढ़ोतरी होने के बीच तेंदुआ समेत अन्य जीव हादसों का शिकार होकर अपनी जान गंवाते रहे हैं। हाल ही राष्ट्रीय चंबल सेंचुरी के तहत इटावा के चकरनगर इलाके के खिरीटी गांव के समीप एक प्राथमिक स्कूल में एक तेंदुए का शव पाया गया। उसकी मौत का कारण स्पष्ट नहीं हुआ। शव को पोस्टमार्टम के लिए बरेली भेजा गया है जहाँ से रिपोर्ट आने के बाद मौत के कारणों को स्पष्ट किया जाएगी। अनुमान है कि स्कूल के भीतर फंस जाने से भूख के कारण तेंदुए की मौत हो गई।
यह पहला मौका नही है, जब किसी तेंदुए की मौत हुई है इससे पहले भी चंबल मे एक के बाद एक करके तेंदुओं की मौत लगातार पर्यावरणविदों और इलाकाई लोगों को भी परेशान करती रही है। इसी साल दो फरवरी को इटावा जिले के भरेह थाना क्षेत्र में गढाकास्दा गांव के पास मुख्य सड़क पर तेंदुए का शव मिलने से हडकंप मच गया था। जिस तेंदुए का शव मिला, उसके गले में कान के पास गहरा घाव बना हुआ था। 2017 में सहसो इलाके में दो तेंदुए और एक सांभर की मौत फसलों की सुरक्षा के लिए 11000 केवी बिजली लाइन बनी फेंसिंग की जद में आने से हो गई थी।
चंबल के इलाके में इससे पहले भी काफी लंबे समय से तेंदुओं की आवाजाही की खबरें सामने आती रही है। एक तेंदुआ किसानों द्वारा फसल की सुरक्षा के लिए खींचे गए तारों में फंस गया था। तारों मे फंसे हुए तेंदुए को ट्रैंक्यूलाइज करके पकड़ा गया था। 28 सितंबर को उसकी मौत हाइपो बेलोनिया नामक बीमारी से हो गई। मादा तेंदुआ के फेफडेे व हृदय, लीवर ने काम करना बंद कर दिया था। उसके आंतरिक अंगों पर काफी प्रभाव पडा था और खून का संचालन असमान्य हो गया था।
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