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जयपुर

chandrayaan 2: अगर चांद नहीं होता तो ये होता पृथ्वी पर !!

chandrayaan 2: अगर चांद नहीं होता तो ये होता पृथ्वी पर !!

जयपुरSep 07, 2019 / 04:18 pm

sangita chaturvedi

chandrayaan 2: अगर चांद नहीं होता  तो ये होता पृथ्वी पर !!

chandrayaan 2: अगर चांद नहीं होता तो ये होता पृथ्वी पर !!

chandrayaan 2: चांद गायब हो जाए, तो खतरे में पड़ जाएगी जिंदगी

धरती 0 डिग्री पर झुक जाएगी!
सारे मौसम हो जाएंगे गुम
आ सकते हैं विनाशकारी भूकंप


क्या आप जानते हैं चांद पर च्रंदयान 2 उतरता तो खास इनपुट मुहैया कराता… ये लैंडिंग बेहद खास थी… अगर भारत के प्रज्ञान रोवर के सेंसर चांद के दक्षिणी ध्रुवीय इलाके के विशाल गड्ढों से पानी के सबूत तलाश पाते तो यह बड़ी खोज होती.. वैज्ञानिक ये मानते हैं कि आगे चल कर चांद पर इंसान के रहने वाले स्पेस स्टेशन बनाए जा सकेंगे…. माना जाता है कि चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर स्थित पुराने ज्वालामुखी के गड्ढों में भारी तादाद में पानी मौजूद है… अब आपको ये भी बताते हैं कि चांद हमारी लाइफ के लिए कितना खास है… क्या कभी आपने ये सोचा है कि अगर चंद्रमा नहीं होता, तो क्या होता… नहीं सोचा तो हम आपको बताते हैं… पृथ्वी के विपरीत चंद्रमा के पास न तो अपना वायुमंडल है और न ही अपना चुंबकीय क्षेत्र..पृथ्वी का व्यास (डाइमीटर) 12,742 किलोमीटर हैं, जबकि चंद्रमा का व्यास 3,476 किलोमीटर है. यानी आकार में पृथ्वी उससे केवल चार गुना बड़ी है. चंद्रमा 27.3 दिन में पृथ्वी की एक परिक्रमा पूरी करता है और इतने ही समय में अपने अक्ष (एक्सिस/ धुरी) पर भी एक बार घूम जाता है. परिक्रमाकाल और अक्ष पर घूर्णनकाल एक समान होने के कारण ही पृथ्वी पर से हमें उसका हमेशा केवल एक ही अर्धभाग दिखायी पड़ता है.चंद्रमा की गुरुत्वाकर्षण शक्ति पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण शक्ति के हालांकि छठें हिस्से के बराबर है. इसका मतलब यह कि जो चीज पृथ्वी पर छह किलो भारी है, वह चंद्रमा पर एक किलो ही रह जाती है. तब भी चंद्रमा हमारे सागरों-महासागरों के पानी को औसतन एक मीटर तक ऊपर उठाते और नीचे गिराते हुए ज्वार-भाटा (हाई ऐन्ड लो टाइड) पैदा करता है. सूर्य भी ज्वार-भाटा पैदा करता है, किंतु पृथ्वी से बहुत दूर होने के कारण उसकी शक्ति चंद्रमा की तुलना में आधा प्रभाव ही डाल पाती है.ऐसे में चांद न होता तो सबसे बड़ी बात यह होती कि पृथ्वी ज्वार-भटा भी नहीं आता. चंद्रमा के गुरुत्वाकर्षण बल से ही पृथ्वी पर ज्वार-भाटा पैदा होता है. बहुत संभव है कि समुद्री जलधाराओं की दिशाएं भी आज जैसी नहीं होतीं.ज्वार-भाटा अपनी धुरी पर घूमने की पृथ्वी की अक्षगति को धीमा करते हैं. ज्वार-भाटे न होते तो पृथ्वी पर दिन 24 घंटे से कम का होता. कितना कम होता, कहना कठिन है.. यह भी कहा जा सकता है कि चांद न रहता, तो हम भी नहीं होते… सारी विकसवादी प्रक्रिया ही धीमी पड़ जाती.. चंद्रमा के न होने पर ज्वार-भाटे नहीं होते और उनके न होने से भूमि और समुद्री जल के बीच पोषक तत्वों के आदान-प्रदान की क्रिया बहुत धीमी पड़ जाती.. इतना ही नहीं यूनिवर्सिटी ऑफ बेसल, स्विट्जरलैंड का मानना है कि चांद हमारी नींद पर भी असर डालता है. अमावस्या पर लोग जहां अच्छी नींद का आनंद लेते हैं वही पूर्णिमा पर नींद कम आती है. हालांकि विज्ञान अभी तक इस बात को साबित नहीं कर पाया है….हमारी धरती अपने एक्सिस पर -23.5 डिग्री से झुकी हुई है. यह झुकाव चांद ही पैदा करता है. इसी झुकाव की वजह से ही मौसम बदलते है. अगर चाँद नहीं होगा तो धरती के आस पास के अन्य ग्रह के कारण धरती झूलती रहेगी. अगर धरती 0 डिग्री पर झुकी तो सारे मौसम समाप्त हो जाएंगे… इतना ही नहीं चांद अरबों सालों से धरती का चक्कर लगा रहा है. अगर वो गायब हो जाये तो धरती पर बड़े बदलाव होंगे. विनाशकारी भूकंप भी आ सकते हैं..जीव जिंदगी दोनों को बड़ा खतरा पैदा हो सकता है…
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