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जयपुर

Changemakers: स्वच्छ करें राजनीति… इस बार अपने वार्ड-मोहल्ले से, अपने हीरो को बनाएं अपना नेता

Changemakers 2.0: 4 अप्रेल 2018 स्वच्छ राजनीति की दिशा में मील का पत्थर, जब राजस्थान पत्रिका ने प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए बदलाव के नायकों का आह्वान किया।

जयपुरSep 30, 2019 / 06:01 pm

Kamlesh Sharma

Changemaker 2019
जयपुर। 4 अप्रेल 2018 स्वच्छ राजनीति की दिशा में मील का पत्थर, जब राजस्थान पत्रिका ने प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए बदलाव के नायकों का आह्वान किया। यह पत्रिका के प्रति पाठकों का भरोसा ही है कि वॉलंटियर के रूप में 16684, 669646 सपोर्टर और उम्मीदवार के रूप में 12853 से ज्यादा लोगों ने अपना नामांकन कराया। मप्र और छत्तीसगढ़ को मिलाकर 8 लाख 80 हजार 665 से ज्यादा लोगों ने प्रत्यक्ष— अप्रत्यक्ष रूप से भागीदारी की। अभियान की सफलता ऐतिहासिक रही। राजस्थान से 22 और मध्यप्रदेश से 10 विधायक ऐसे चुने गए जिन्हें मतदाताओं ने इस अभियान से प्रेरित होकर चुना। अब फिर अवसर है, घर की चौखट से परिवर्तन की बयार लाने का। नगरीय निकाय चुनावों की घोषणा होने को है। पार्षद और अध्यक्ष के रूप में आप अपने नगर में सकारात्मक और विकासोन्मुखी राजनीति की शुरुआत कर सकते हैं— पत्रिका के अभियान चेंजमेकर्स 2.0 के साथ। कैसे, आइए समझते हैं…
विशुद्ध संकल्प
राजस्थान पत्रिका का यह अभियान विशुद्ध रूप से ऐसा संकल्प है जो स्वच्छ और विकासोन्मुखी राजनीति के प्रति लोगों को प्रेरित करता है।

सिर्फ समाज-हित
हालांकि हमारा आह्वान स्वच्छ राजनीति के लिए है, मगर हम किसी भी राजनीतिक दल का प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से समर्थन नहीं करते।
सभी का स्वागत
अभियान के साथ चेंजमेकर या वॉलंटियर के रूप में जुड़े व्यक्ति के अपने राजनीति विचार हो सकते हैं, मगर उद्देश्य एक ही होना चाहिए— राजनीति में स्वच्छता।

शुरुआत ताकि मजबूत हो लोकतंत्र की नींव
निकाय चुनाव राजनीति की बुनियाद हैं। इसमें स्वच्छ व ईमानदार जनप्रतिनिधियों को चुनना बहुत जरूरी है। बेदाग प्रतिनिधि चुने जाएंगे तब ही लोकतंत्र की नींव को मजबूत किया जा सकेगा। मजबूत नींव पर ही बुलंद इमारत का निर्माण संभव हो सकेगा। निकाय चुनाव में एक फायदा यह भी रहता है कि चुनाव लडऩे वाला प्रत्याशी आपके आस-पास का और जाना-पहचाना होता है। प्रत्याशी अपने ही आसपास रहने वाले होने के कारण सही प्रत्याशी का चुनाव करना संभव हो पाता है।
पार्षद की ताकत सबसे छोटी कड़ी, मगर लोगों की आसान पहुंच
पार्षद जनप्रतिनिधियों में सबसे छोटी और महत्त्वपूर्ण कड़ी होते हैं। यही वजह है कि जनता को जब भी कोई समस्या होती है तो वे सबसे पहले पार्षद के पास जाते हैं। सबसे पहले उन्हें ही अपनी समस्या बताते हैं। पार्षद भी क्षेत्र का होने के कारण समस्या को गम्भीरता और बारीकी से समझ पाता है। ऐसे में पार्षद का सक्रिय रहना बहुत जरूरी हो जाता है अपने वार्ड में विकास कार्यों के लिए। वार्ड चुनाव में वर्चस्व कायम करना सभी राजनीतिक पार्टियों के लिए बड़ी चुनौती होती है।

सुझाएं चेंजमेकर का नाम
अगर आपको लगता है कि आपके आसपास कोई ऐसे महिला या पुरुष हैं, जिनकी नेतृत्व क्षमता से समाज को लाभ हो सकता है। तो ऐसे व्यक्तियों को आप चेंजमेकर के लिए रिकमंड कर सकते हैं। ऐसे व्यक्तियों की निम्न योग्यताएं हो सकती हैं।
बेदाग और ईमानदार हों।
सामाजिक मेलजोल में सक्रिय हों
किसी भी विचारधारा के हो सकते हैं।
अगर पहले से ही किसी पार्टी में सक्रिय हैं तो भी रिकमंड कर सकते हैं।
शहर या वार्ड के विकास के बारे में सोच स्पष्ट हो।
किसी तरह का आपराधिक रिकार्ड न हो।
यह चुनाव युवाओं व लैंगिक समानता का
वार्ड चुनाव में बड़े पैमाने पर उम्मीदवार मैदान में उतरेंगे। ऐसे में यह अवसर लैंगिक असमानता को खत्म करने का अवसर भी बन सकता है। 33 प्रतिशत महिला आरक्षण के कारण महिलाएं इन सीटों पर तो चुनाव लड़ेगी ही। पुरुषों के दबदबे वाले वार्डों में भी महिलाएं बेहतर विकल्प पेश कर सकती हैं। इसी प्रकार हर वार्ड में युवा बड़ी संख्या में हैं। विकासोन्मुखी राजनीति की शुरुआत युवक— युवतियां वार्ड चुनाव से कर सकते हैं। औसत 21 वर्ष के युवा अगले 60 साल तक समाज सेवा के लिए उपलब्ध रहेंगे। ऐसे में अपने शहर के भविष्य का खाका ज्यादा अच्छे से तैयार कर सकते हैं।
जयपुर नगर निगम
स्थापना वर्ष 1869
1992 में जयपुर को नगर निगम का दर्जा मिला
राजधानी में वार्डों की संख्या 91 से बढ़ाकर 150 कर दी गई है। साथ ही कौनसा वार्ड किस वर्ग के लिए आरक्षित है, यह भी तय हो गया है।
33% सीटें हर वर्ग में महिलाओं की आरक्षित
21 वर्ष के युवा निकाय चुनाव लड़ सकते हैं
193 कुल निकाय
34 नगर परिषद
7 नगर निगम
जयपुर, जोधपुर, कोटा, अजमेर, बीकानेर, उदयपुर, भरतपुर
52 निकायों में इस बार चुनाव होंगे 2020 से पहले
सहभागिता इसलिए जरूरी…
क्योंकि आपकी चौखट से जुड़ी शहरी सरकार

निकाय में सीधे-सीधे राज्य सरकार की ज्यादा दखलांदजी नहीं रहती। निकाय अपना फैसला लेने के लिए स्वतंत्र होते हैं। साधारण सभा में नियम भी बनाए जा सकते हैं। नगर में रहने वाले लोगों के सभी काम निकाय ही करते हैं।
सफाई से स्ट्रीट लाइट तक
सुबह नगरीय सीमा की सड़कों को साफ करने से लेकर घर-घर कचरा संग्रहण से दिन की शुरुआत होती है। अपनी सीमा में सीवरेज से लेकर नई सड़कों को बनाना और टूटी हुई की मरम्मत करना, स्ट्रीट लाइट लगाने तक का काम शहरी सरकार ही करती है।
स्थानीय सियासत और विकास की दृष्टि से अहम चुनाव
निकाय चुनाव स्थानीय सियासत और विकास की दृष्टि से महत्वपूर्ण होते हैं। इसमें लोगों का जुड़ाव और भागीदारी अधिक रहती है। निकाय चुनाव आने वाले है और हम सबकी जिम्मेदारी है कि इसमें बढ़-चढ़कर हिस्सा लें और ऐसे व्यक्ति को आगे बढ़ाएं जो ईमानदार हो और अपने क्षेत्र के विकास का विजन लिए हो।
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