गौरतलब है कि 24 नवम्बर 2017 को नाहरगढ़ किले की दीवार से चेतन सैनी फंदे पर लटका मिला था। दीवार और पत्थरों पर 35 जगह तनाव फैलाने वाले विवादित वाक्य लिखे थे। चेतन प्लास्टिक की जिस डोरी से लटका मिला, वह नई खरीदी गई थी। पुलिस ने एफएसएल टीम से मौका मुआयना करवाया और विवादित वाक्यों की लिखावट का चेतन सैनी की लिखावट से मिलान करवाया। पुलिस ने करीब एक साल तक इस प्रकरण का अनुसंधान किया और आखिर में 30 नवम्बर 2018 को कोर्ट में अंतिम रिपोर्ट (एफआर) पेश कर दी। एडवोकेट ललिता संजीव मेहरवाल ने बताया कि कई बिंदु हत्या की ओर इशारा कर रहे हैं, जिनकी पुलिस ने तस्दीक नहीं की।
पुलिस का यह तर्क – परिजनों ने अनवर नाम के युवक के साथ चेतन सैनी को देखना बताया, तस्दीक में अनवर घटना से एक दिन पहले चेतन से नहीं मिला। अनवर सुबह से रात्रि तक जहां-जहां गया, तस्दीक में सही पाया गया।
– अनवर और चेतन की मोबाइल पर बात और लोकेशन भी नहीं पाई गई। – पद्मावती फिल्म का विरोध चल रहा था। चेतन के मोबाइल में एफएसएल में पद्मावती फिल्म के संबंध में कई पोस्टर और न्यूज मिली, वह पद्मावती के संबंध में अधिक जानकारी रखता था।
– आत्महत्या से पहले चेतन ने खुद नाहरगढ़ की दीवार व पत्थरों पर विवादित वाक्य लिखे, एफएसएल ने उसकी लिखावट की पुष्टि की। – एक साल से चेतन अपने बैंक खातों से रुपए निकाल रहा था, जमा नहीं करवा रहा था, उसकी वित्तिय स्थिति सही नहीं थी।
– चेतन आत्महत्या करने के बाद सुखियां बटोरना चाहता था और मामले को सनसनीखेज बनाना चाहता था, इसलिए विवादित वाक्य लिखे।
चेतन के परिजनों का तर्क – चेतन नाहरगढ़ पर पैदल जाते समय सीसीटीवी कैमरे में अकेला नजर आ रहा है लेकिन फंदे वाली रस्सी उसके पास नजर नहीं आई।
– नाहरगढ़ की दीवार और पत्थरों पर लिखे वाक्यों की लिखावट की जांच निजी एक्सपर्ट से कराई, वह चेतन की लिखावट से नहीं मिल रही। जबकि एक्सपर्ट ने पत्थर व दीवार की लिखावट 3 अलग-अलग लोगों की होना बताया है।