गहलोत ने एसपी-कॉन्फ्रेंस में कहा कि कलक्टर और एसपी की यह सामूहिक जिम्मेदारी है कि वे बेहतर समन्वय के साथ काम करते हुए ऐसी किसी भी घटना के प्रति सतर्क रहें जिससे माहौल बिगड़ने की आशंका हो।
गहलोत ने कहा कि सजगता, सतर्कता और पूर्व तैयारी से किसी भी घटना को बड़ा रूप लेने से बचा जा सकता है। सभी समुदायों के प्रबुद्ध लोगों और युवा वर्ग के साथ नियमित संवाद इस दिशा में महत्वपूर्ण होता है। उन्होंने निर्देश दिए कि सद्भाव बनाए रखने के लिए जिला, ब्लॉक और थाना स्तर पर सीएलजी एवं शांति समितियों की बैठकें आयोजित की जाएं।
गहलोत ने निर्देश दिए कि संवेदनशील क्षेत्रों में सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध किए जाएं और असामाजिक तत्वों पर कड़ी नजर रखें। सोशल मीडिया पर भड़काऊ संदेश प्रसारित करने वाले लोगों से सख्ती से निपटा जाए।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के 150वें और राजीव गांधी के 75वें जयंती वर्ष के उपलक्ष्य में प्रदेशभर में सद्भावना बढ़ाने वाली गतिविधियां लगातार आयोजित की जा रही हैं। नवम्बर माह को सद्भावना माह के रूप में मनाते हुए राज्य के सभी जिलों में ऐसे आयोजन किए जाएं जिससे सभी समुदायों में भाईचारा और विश्वास की भावना बढ़े।
मुख्यमंत्री ने कलक्टरों और एसपी को निर्देश दिए कि वे फील्ड स्तर पर तैनात अधिकारियों के साथ वीडियो कांफ्रेंस कर निचले स्तर तक फीडबैक लें। उन्होंने कहा कि सीसीटीवी कैमरों से सुरक्षा इंतजामों में मदद मिलती है। जहां भी आवश्यक हों सीसीटीवी कैमरे लगाएं।
गहलोत ने कहा कि हमारी सरकार ने थानों में हर परिवादी की स्थानीय स्तर पर ही सुनवाई के लिए फ्री रजिस्ट्रेशन की नीति लागू की है। ऐसी नौबत नहीं आनी चाहिए जिससे किसी भी पीड़ित को एफआईआर दर्ज कराने के लिए एसपी कार्यालय जाना पड़े।