योजना की लागत करीब 40 हजार करोड़
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस परियोजना से इन 13 जिलों में 2.8 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई के लिए पानी मिल सकेगा। साथ ही, केन्द्र प्रवर्तित योजना जल जीवन मिशन के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए भी जल स्रोत की जरूरत पूरी हो सकेगी। केन्द्र सरकार ने पूर्व में विभिन्न राज्यों की 16 बहुउददेशीय सिंचाई परियोजनाओं को राष्ट्रीय परियोजनाओं का दर्जा दिया है। पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना का अनुमानित खर्च करीब 40 हजार करोड़ है, जो राज्य सरकार द्वारा वहन किया जाना संभव नहीं है, इसलिए राज्य हित में इस प्रोजेक्ट की महत्ता को देखते हुए केन्द्र सरकार इसमें सहयोग दे।
जल जीवन मिशन को लेकर रखी यह बात
गहलोत ने कहा कि राजस्थान में देश का 10 प्रतिशत भू-भाग है, जबकि देश का केवल 1 प्रतिशत पानी यहां उपलब्ध है। राजस्थान रेगिस्तानी एवं मरूस्थलीय क्षेत्र होने के साथ ही यहां सतही एवं भू-जल की भी काफी कमी है। गांव-ढाणियों के बीच दूरी अधिक होने के साथ ही विषम भौगोलिक परिस्थितियों के कारण यहां घर-घर पेयजल उपलब्ध करवाने में लागत अन्य राज्यों के मुकाबले काफी ज्यादा आती है। इसे देखते हुए केन्द्र सरकार उत्तर पूर्वी एवं पहाड़ी राज्यों की तरह प्रदेश को भी जल जीवन मिशन में 90ः10 के तहत सहायता उपलब्ध करवाए।
पोटाश के खनन में सहयोग करे केन्द्र
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में दुर्लभ खनिज पोटाश के अथाह भण्डार मौजूद हैं। भारत सरकार के मिनरल एक्सप्लोरेशन कॉर्पोरेशन लिमिटेड एवं भारतीय भू-विज्ञान सर्वेक्षण के माध्यम से इस खनिज के दोहन की दिशा में आगे बढ़ा जा सकता है। केन्द्र सरकार इस कार्य में भी जरूरी सहयोग करे।
राज्यों को राहत दे केन्द्र
गहलोत ने कहा कि कोविड-19 महामारी के गंभीर संकट के बाद अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के साथ ही रोजगार के अधिकाधिक अवसर उपलब्ध कराना जरूरी है। केन्द्र सरकार इस दिशा में भी सकारात्मक पहल कर राज्यों को राहत दे। बैठक में उद्योग मंत्री परसादीलाल मीणा, कृषि मंत्री लालचन्द कटारिया, तकनीकी शिक्षा राज्यमंत्री डॉ. सुभाष गर्ग के साथ अन्य अधिकारी शामिल हुए।